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झारखंड: प्रेमिका के प्यार और जिद ने करवाया था कुख्यात इनामी महाराज प्रमाणिक का सरेंडर, जानें पूरी कहानी

Maharaj Pramanik

कुख्यात नक्सली (Naxalite) महाराज प्रमाणिक (Maharaj Pramanik) के आत्मसमर्पण के पीछे की वजह जानकर आप हैरान हो जाएंगे। महाराज के सरेंडर करने की वजह उसकी गर्लफ्रेंड है।

झारखंड (Jharkhand) का कुख्यात 10 लाख का इनामी नक्सली (Naxalites) जो सालों से खून-खराबे के रास्ते पर चल रहा था, उसे प्यार ने झुका दिया। कुख्यात नक्सली महाराज प्रमाणिक (Maharaj Pramanik) के आत्मसमर्पण के पीछे की वजह जानकर आप हैरान हो जाएंगे। महाराज प्रमाणिक के सरेंडर करने की वजह उसकी गर्लफ्रेंड है।

पुलिस से बातचीत के दौरान महाराज प्रमाणिक ने पुलिस के सामने इस बात का खुलासा किया है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, महाराज उस लड़की से पिछले कई सालों से प्यार करता था। उसने महाराज को सरेंडर करने के लिए मोटिवेट किया।

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भाकपा माओवादी नक्सल संगठन के हार्डकोर नक्सली महाराज प्रमाणिक (Maharaj Pramanik) की प्रेमिका उसे मुख्यधारा में वापस लाना चाहती थी, जिससे वह उसके साथ सुकून की जिंदगी जी सके। वह नहीं चाहती थी की महाराज की जिंदगी उस अंधेरी दुनिया में बीते। महाराज की गर्लफ्रेंड ने उसे बहुत समझाया, पर वह मानने को तैयार नहीं था।  फिर उसकी गर्लफ्रेंड ने ठान लिया की वह उसे मना कर ही रहेगी।

बता दें कि कुछ दिनों पहले भाकपा माओवादी नक्सली संगठन ने महाराज प्रमाणिक को निकाल दिया था। संगठन से निकाले जाने के बाद भी महाराज खुद का संगठन तैयार करना चाहता था। पर उसकी गर्लफ्रेंड अड़ गई कि जब तक महाराज पुलिस के सामने सरेंडर नहीं करता, वह उससे नहीं मिलेगी।

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उसने महाराज से मिलना छोड़ दिया था। इसके बाद एक दिन महाराज गर्लफ्रेंड से मिलने गया। उसने फिर उसे सरेंडर करने के लिए कहा। इसके बाद महाराज ने गर्लफ्रेंड से वादा किया कि सरेंडर करने के बाद ही वह उससे मिलेगा। महाराज प्रमाणिक ने गर्लफ्रेंड से किया वादा पूरा किया। उसने पुलिस से संपर्क किया और सरेंडर कर दिया।

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बता दें कि महाराज प्रमाणिक सरायकेला-खरसावां जिला के इचागढ़ थाना क्षेत्र के दारूदा का रहने वाला है। वह भाकपा माओवादी नक्सली संगठन में जोनल कमांडर था। पुलिस को उसकी लंबे समय से तलाश थी। उस पर 10 लाख रुपए का इनाम था। 24 अगस्त को उसने पुलिस के समक्ष समर्पण कर दिया। सरेंडर करने से पहले उसे पुलिस के साथ मिले होने के आरोप में संगठन से निकाल दिया गया था।