Hindi News (हिंदी समाचार), News in Hindi, Latest News In Hindi

बस्तर के नक्सलियों में कोरोना वायरस का खौफ, जंगलों में छिपे नक्सली इलाज के लिए हो रहे मोहताज

बस्तर के घने जंगलों में पिछले चार दशक से महफूज ठिकाना बना चुके नक्सलियों (Naxali) का पुलिस और अर्धसैनिक बल अभी तक पूर्ण सफाया नहीं कर पाये हैं। यहां विषम मौसम में भी नक्सलियों ने अपनी बढ़त बनाए रखी लेकिन कोरोना महामारी (Coronavirus) ने इनकी कमर तोड़ कर रख दी है। कोरोना संकट और निर्दोष ग्रामीणों की हत्याओं की वजह से नक्सली संगठनों में फूट भी पड़ गई है और उनकी जान भी जा रही है।

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नक्सलियों (Naxali) की बड़ी साजिश नाकाम, 5 किलो IED बरामद

दक्षिण बस्तर क्षेत्र में खासकर बीजापुर‚ दंतेवाड़ा और नारायणपुर में अपना सुरक्षित ठिकाना बनाने वाले नक्सली कोरोना (Coronavirus) के इलाज के लिए मोहताज हो गए हैं। नक्सलियों (Naxali) ने बैनर टांग कर कोरोना का अस्पताल में मुफ्त इलाज की मांग की। लेकिन जंगल से निकल कर जो खबरें आई हैं उसके मुताबिक लॉकडाउन में नक्सलियों की रसद मदद की सप्लाई चेन इस कदर टूटी कि उनको खाने के लाले पड़ गए। संकट के कारण वह आपस में ही एक–दूसरे से लड़ रहे हैं। इससे कई नक्सलियों (Naxali) की जान भी जा चुकी है।

दंतेवाड़ा पुलिस के मुताबिक शुरुआती जानकारी आई है कि पिछले सप्ताह दुर्दांत नक्सली (Naxali) कमांडर  मडकम रमेश उर्फ गोन्चे (50) में कोरोना (Coronavirus) के लक्षण दिख रहे थे और उसकी शनिवार शाम मौत हो गई। मड़कम केरल पाल क्षेत्रीय समिति का सदस्य था। वह दंतेवाडा और सुकमा जिलों की सीमा से सटे इलाकों में सक्रिय था।

दूसरी तरफ‚ नक्सलियों (Naxali) पर कई मोर्चों पर मार पड़ रही है। लगातार लॉकडाउन के कारण उनको जरूरत का राशन और सामान मिलना दूभर हो गया। अर्धसैनिक बलों की दबिश बस्तर में लगातार जारी है। जिसकी वजह से इनकी मुश्किलें बद से बदतर होती जा रही हैं। इनके पास अब सिर्फ दो ही विकल्प मौजूद है। एक तो सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण करके अपना इलाज करायें या फिर कोरोना वायरस (Coronavirus) या साथी की के हाथों मारे जायें।