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छत्तीसगढ़: बस्तर पुलिस की सराहनीय पहल, 12 साल से बिछड़ी नक्सली बहन को रक्षाबंधन पर भाई से मिलवाया और बंधवाई राखी

Naxali

एक भाई जिसने वर्षों अपनी बहन का इंतजार किया, एक बहन जो लगातार जंगलों में भटकती रही। न भाई को उम्मीद थी और  न ही बहन को कि कभी दोबारा इस तरह से खुशियां उनके जीवन में भी लौटेंगीं। लेकिन सरकार और बस्तर पुलिस की जीवटता का ही नतीजा है कि धीरे-धीरे ही  सही, बस्तर में बर्बाद हो चुके परिवारों की खुशियां अब लौटती नजर आ रही हैं। बस्तर पुलिस की पहल पर आज एक भाई के वर्षों से सुनी पड़ी कलाई पर फिर से बहन की राखी शोभित है।

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दरअसल, बस्तर पुलिस की पहल पर जगदलपुर में 10 सालों  से सुनी पड़ी कलाई में एक बार फिर से राखी बांधी  गई।  कटेकल्याण एरिया  कमेटी की सदस्य रह चुकी नक्सली (Naxali) दशमी ने हाल ही में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है।  समर्पण करने के बाद यह उसकी पहली राखी है। दशमी की पहली राखी को यादगार बनाने के लिए बस्तर पुलिस ने विशेष व्यवस्था की थी। इस दौरान कई समर्पित नक्सलियों व उनके परिवार वालों को भी राखी का न्योता दिया गया था, लेकिन सबकी निगाहें दशमी पर ही टिकी थीं। यहां मौजूद सुरक्षाबलों ने भी दशमी से अपने कलाईयों पर राखी बंधवाकर उसके आगे की सुखमय जिंदगी की कामना की। साथ ही सुरक्षाबलों ने नक्सलियं के परिजनों को विश्वास दिलाया कि बस्तर पुलिस उनकी सुरक्षा एवं सहयोग के लिए हमेशा तत्पर है।

दशमी 12 साल की उम्र में ही नक्सली (Naxali) संगठन में शामिल होकर जंगलों में चली गई थी। करीब 11 सालों तक संगठन में सक्रीय रहकर दर-दर भटकती दशमी ने सारे त्यौहार मानना छोड़ दिया था। इस दौरान उनका छोटा भाई वासुदेव सालों से हर त्यौहार अपनी बहन की घर वापसी के इंतजार में मनाता रहा। उसे उम्मीद थी कि एक ना एक दिन उसकी बहन घर जरूर लौटेगी। कहते हैं ना कि जब किसी चीज को पूरी शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है, शायद इसी लंबे इंतजार का ही फल है कि आज वासुदेव के सामने दशमी सकुशल लौट आई है। दशकों तक नक्सलियों की खोखली विचारधारा के कारण अपनों से दूर रही दशमी ने अब मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। रक्षाबंधन के इस पावन मौके पर दशमी के साथ ही अन्य दूसरे समर्पित नक्सलियों ने भी एक दूसरे के कलाईयों पर रक्षासूत्र बांधकर एक दूसरे की सुरक्षा का प्रण लिया। 

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रक्षाबंधन के मौके पर जगदलपुर का ये नजारा सभी को आनंदित कर रहा था। हालांकि दशमी अपने छोटे भाई वासुदेव के पास तो लौट आई है लेकिन उसे उम्मीद है कि अगले रक्षाबंधन पर वो अपने दोनों भाईयों के साथ ही ये त्यौहार मनायेगी। क्योंकि दशमी का बड़ा भाई अभी भी नक्सलियों (Naxali) के बहकावे में जंगलों की खाक छान रहा है। दशमी ने अपने बड़े भाई से अपील किया है कि वो भी हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौट आए।

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