इस स्वास्थ्य केंद्र के दोबारा शुरू होने से गोलापल्ली जैसे नक्सली क्षेत्र (Naxal Area) में अब संस्थागत प्रसव व बच्चों व गर्भवती महिलाओं के नियमित टीकाकरण के साथ ही अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने लगेंगी।
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सल इलाकों (Naxal Area) की बेहतरी के लिए प्रशासन लगातार कोशिश कर रहा है। सुदूर इलाकों में भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने की राज्य शासन की कोशिशें अब रंग ला रही हैं। सुकमा (Sukma) जिले के धुर नक्सल प्रभावित गोलापल्ली में कई साल बंद रहने के बाद उप स्वास्थ्य केंद्र दोबारा खुल गया है।
कई सालों के बाद गोलापल्ली उप स्वास्थ्य केंद्र के लिए यह पहला मौका था, जब वहां किसी नवजात की किलकारी गूंजी। स्वास्थ्य विभाग ने इस पिछड़े इलाके के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कई सालों से बंद पड़े इस उप स्वास्थ्य केंद्र को दोबारा शुरू किया है।
गोलापल्ली से चार किलोमीटर दूर जिन्नेलंका गांव में रहने वाली माड़वी नागमणि ने वहां प्रशिक्षित अस्पताल स्टॉफ की देखरेख में अपने दूसरे पुत्र को जन्म दिया। नागमणि के पति लखन माड़वी बताते हैं कि उप स्वास्थ्य केंद्र के दोबारा शुरू होने के बाद वे अपनी गर्भवती पत्नी की वहां नियमित जांच करवा रहे थे। स्वास्थ्य केंद्र में एएनसी पंजीयन के बाद चार बार जांच की गई।
माता व शिशु के लिए उपयुक्त आहार की जानकारी भी महिला स्वास्थ्य कर्मी ने दी। मजदूरी कर जीवन-यापन करने वाले माड़वी ने बताया कि उनकी पत्नी को प्रसव की संभावित तिथि के अनुसार तीन दिन पहले अस्पताल में दाखिला मिल गया था। वहां जच्चा-बच्चा दोनों की अच्छी देखभाल की गई।
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नागमणि बताती हैं कि इस बार अस्पताल में प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की देखरेख में होने से प्रसव के दौरान वह बिलकुल भी तनाव में नहीं थीं। स्वास्थ्य केंद्र में अपने बच्चे को जन्म देना बहुत सुरक्षित था। वह बताती हैं कि चार साल पहले बड़े बेटे के जन्म के समय क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं थी। उस समय खतरों के बीच घर पर ही प्रसव करना पड़ा था।
इस स्वास्थ्य केंद्र के दोबारा शुरू होने से गोलापल्ली जैसे नक्सली क्षेत्र (Naxal Area) में अब संस्थागत प्रसव व बच्चों व गर्भवती महिलाओं के नियमित टीकाकरण के साथ ही अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने लगेंगी।
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उप स्वास्थ्य केंद्र में तैनात स्वास्थ्य कर्मी बीवी रमनम्मा कहती हैं कि गोलापल्ली में इस केंद्र के दोबारा शुरू हो जाने से अब लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परामर्श के लिए दूर नहीं जाना पड़ रहा है। इससे लोगों को काफी राहत है। सुविधा नहीं होने से महिलाएं घर पर ही प्रसव करवाती थीं, जिसमे माता व शिशु को संक्रमण का खतरा रहता है। अब प्रसव के लिए वे अस्पताल आ सकेंगी।