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जम्मू कश्मीर: NIA के हत्थे चढ़ा गजनवी फोर्स का आतंकी नावेद, कुवैत से भारत पहुंचते ही हुई गिरफ्तारी

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) और जम्मू कश्मीर पुलिस ने गुरुवार को आतंकी शाहिद नावेद को जम्मू एयरपोर्ट के बाहर गिरफ्तार किया। आतंकी (Militant) नावेद मूल रूप से नियंत्रण रेखा के जिला पुंछ के सूरनकोट का रहने वाला है। वह जम्मू कश्मीर गजनवी फोर्स का आतंकी है।

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शाहिद नावेद आतंकी संगठन तहरीक-ए-उल मुजाहिदीन का हिस्सा बताया गया है। नावेद पर आरोप है कि वह अपने इलाके सूरनकोट के अलावा जम्मू संभाग में धार्मिक स्थलों पर हमला करके सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना चाहता था। उसे भारत सरकार की पहल पर कुवैत की सरकार ने डीपोर्ट किया था। नई दिल्ली से जब आतंकी (Militant) नावेद जम्मू एयरपोर्ट पर उतरा तो वहां पहले से मौजूद एनआईए (NIA) व राज्य पुलिस की टीम ने पकड़ लिया। उससे सघन पूछताछ की जा रही है।

शाहिद नावेद की गिरफ्तारी से पहले उसके एक अन्य सहयोगी शेर अली को भी तब गिरफ्तार किया गया था, जब वह कुवैत सरकार द्वारा डीपोर्ट किए जाने के बाद भारत पहुंचा था। शेर अली मूल रूप से नियंत्रण रेखा के जिला राजौरी का रहने वाला है। यह भी जम्मू कश्मीर गजनवी फोर्स आतंकी संगठन से जुड़ा है लेकिन वह पाकिस्तान में मौजूद हैडलर सुल्तान के संपर्क में रहा है।

आतंकी (Militant) शेर अली पर आरोप है कि राजौरी के बालाकोट के रास्ते सरहद पार से घातक हथियारों और ड्रग्स की तस्करी में भी शामिल रहा है। शेर अली पर पहले भी कई मामले दर्ज हैं। वह पाकिस्तान से संचालित कई आतंकी संगठनों के लिए भी काम करता रहा है। बल्कि आतंकियों की घुसपैठ में भी उनके गाइड के तौर पर उन्हें रास्ता बताकर सुरक्षित ठिकानों की ओर भेजता रहा है।

शेर अली का पिता मुस्ताक अहमद व वहन रसकीम अख्तर को भी आतंकी गतिविधियों में मददगार के तौर पर बीते साल 11 सितम्बर को पकड़ा गया था। पीओके की ओर से जिला राजौरी के बालाकोट के रास्ते हथियारों व ड्रग्स की तस्करी में शामिल रहे हैं। दो आतंकियों को सुरक्षाबलों ने बीते साल 13 दिसम्बर को सूरनकोट के पोषाना इलाके में मुठभेड़ में मार गिराया था।

कुवैत सरकार द्वारा डीपोर्ट किए गए आतंकी (Militant) शाहिद नावेद और शेर अली दोनों ही पीर पंजाल इलाके के अलावा जम्मू संभाग के अन्य इलाकों में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिशों को अंजाम देने की कोशिशों में लगे थे। इनकी गिरफ्तारी को बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है।