जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) से अनुच्छेद-370 (Article-370) हटाने के बाद इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। जिसके बाद यहां कई बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। यहां लोग अब किसी आतंकी के जनाजे पर भीड़ नहीं लगाते, बच्चों के हाथ में पत्थर की जगह कलम और कंप्यूटर ने ले लिया, लोग आतंक के आकाओं से डरे बिना खुलकर विरोध भी करने लगे हैं।
आतंकवादियों और अलगाववादियों की कोशिशें नाकाम हो रहीं हैं। जम्मू-कश्मीर से श्रीनगर आने पर कोई विरोध रैली नहीं हो रही है। अब घाटी में लोग सुकून महसूस कर रहे हैं। सुरक्षा व्यवस्था के चाक-चौबंद हो जाने से कश्मीर में शांति का माहौल है। यहां हाल के दिनों में आतंकी गतिविधियों में काफी कमी आई है।
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जम्मू-कश्मीर पुलिस (J&K Police) के डीजीपी दिलबाग सिंह (DGP Dilbag Singh) ने घाटी में कानून-व्यवस्था और आतंकी गतिविधियों से जुड़े आंकड़े जारी किए हैं। इन आंकड़ों में बताया गया है कि 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद-370 (Article-370) हटाए जाने के बाद कानून-व्यवस्था में व्यापक सुधार आया है। घाटी में 8 जुलाई, 2016 को हिज्बुल मुजाहिद्दीन से जुड़े आतंकी बुरहान वानी की मौत हो गयी थी।
इसके अगले 6 महीनों में 2500 से ज्यादा हिंसक घटनाएं हुईं, जिनमें 117 आम नागरिकों की जान गई थी। जबकि, 5 अगस्त के बाद 119 घटनाएं हुईं, जिसमें किसी भी आम नागरिक की जान नहीं गई। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, घाटी में आतंकी हिंसा में 40 फीसदी और कानून-व्यवस्था से जुड़ी घटनाओं में 73 फीसदी की कमी आई है।
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जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में सुरक्षाबलों द्वारा लगातार आतंकवाद पर किए जा रहे प्रहार से आतंकी घटनाएं कम हुई हैं। साल 2019 में जनवरी से जुलाई के बीच 188 आतंकी घटनाएं हुईं थी, जबकि 2020 में इसी दौरान 120 घटनाएं ही हुईं हैं। बीते साल जनवरी से जुलाई के बीच 126 आतंकी मारे गए, वहीं 2020 में इस दौरान सुरक्षाबलों ने 136 आतंकी मारे, जिनमें 121 विदेशी थे।
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इसके अलावा आतंकी संगठनों में शामिल होने वाले युवाओं की संख्या में भी कमी आई है। 1 जनवरी, 2020 से 15 जुलाई 2020 तक 79 स्थानीय युवक आतंकी संगठन में शामिल हुए, जबकि 2019 में इस दौरान यह संख्या 135 थी। जम्मू-कश्मीर में (Jammu-Kashmir) से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद से पत्थरबाजी की घटनाएं भी कम हुई हैं।