चीन अपनी सेना की आवाजाही सुगम बनाने के लिए पेंगोंग त्सो झील (Pangong Tso Lake) पर अपने क्षेत्र में खुर्नक पर एक पुल का निर्माण कर रहा। अगस्त 2020 में चीनी सेना पेंगोंग त्सो के फिंगर–4 तक आ गई थी करीब डेढ़ साल के संघर्ष के बाद चीनी सेना पीछे हटी लेकिन अब उसने अपनी तरफ एक पुल बनाना शुरू किया है जिससे कि जब भारतीय सेना का मुकाबला करना हो तो चीनी सेना आसानी से झील के ऊपर बन रहे पुल से ही निगरानी कर सके।
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एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार निर्माणाधीन पुल खुर्नक से दक्षिणी तट के बीच 180 किमी की दूरी को खत्म कर देगा। इसका मतलब है कि खुर्नक से रुडोक तक का रास्ता पहले करीब 200 किमी की तुलना में अब सिर्फ 40-50 किमी का होगा। 135 किमी लंबी पैंगोंग त्सो (Pangong Tso Lake) स्थलीय सीमा से घिरी हुई एक झील है जिसका कुछ हिस्सा लद्दाख और बाकी हिस्सा तिब्बत में है। मई 2020 में भारत और चीन के बीच तनाव की शुरुआत इसी क्षेत्र में हुई थी।
रिपोर्ट ने बताया कि पीएलए ने पुल से आने–जाने के लिए सड़क बनाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है‚ जो जरूरत पड़ने पर सैनिकों और उपकरणों की तेजी से तैनाती के लिए एक नया मार्ग बन सकता है। माना जा रहा है कि चीन ने भारत के अगस्त 2020 की कार्रवाई से सबक लिया है और इसीलिए वह अपनी तैयारियों को पुख्ता कर रहा है।
चीन ने यह सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं कि क्षेत्र में उसकी गतिविधियों को तेजी से बढ़ाया जा सके और बड़े पैमाने पर तैनाती की क्षमता को बढ़ाया जा सके। पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के बाद चीन अब हिमाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सटे इलाकों में लगातार अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है।
हिमाचल में एलएसी से लगे किन्नौर और लाहौल स्पीति जिलों में पिछले एक साल से सड़क निर्माण‚ पुल और हेलिपैड के निर्माण में तेजी लाने के साथ सैन्य चौकियां भी बनाई जा रही हैं।
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में राज्य पुलिस ने दोनों रिमोट जिलों में एलएसी पर नौ दर्रों के साथ सैन्य टुकड़ी और बुनियादी ढांचे के तेजी से निर्माण का हवाला दिया है।