खुलासा हुआ है कि दबाव में आए नक्सली नारायणपुर ब्लास्ट के बाद अब किसी और हमले (Naxal Attack) की प्लानिंग कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के धुर नक्सल प्रभावित बस्तर (Bastar) में नक्सली (Naxalites) किसी कैंप पर हमला करने के फिराक में हैं। खुलासा हुआ है कि नारायणपुर ब्लास्ट के बाद अब नक्सली बड़े हमले (Naxal Attack) की तैयारी कर रहे हैं। दरअसल, सुकमा जिले के सिलगेर, बीजापुर के तर्रेम, धरमावरम और गलगम जैसे अति दुर्गम इलाकों में कैंप खोलकर फोर्स ने नक्सलियों पर नकेल कसी है।
इसलिए दबाव में आए नक्सली अब बड़े हमले की फिराक में हैं। खुफिया इनपुट है कि बीजापुर या सुकमा जिले में हमला (Naxal Attack) हो सकता है। जानकारी के मुताबिक, 24 मार्त की रात बीजापुर के नक्सल प्रभावित तर्रेम कैंप के आसपास नक्सलियों का जमावड़ा देखा गया।
आमतौर पर नक्सली बड़ा जमावड़ा नहीं करते, क्योंकि इतने लोगों के रसद और अन्य इंतजाम में दिक्कत होती है, पर इस बार फोर्स ने दबाव इतना बढ़ा दिया है कि नक्सली समझ ही नहीं पा रहे हैं कि कहां पनाह लें।
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बताया गया है कि टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन (TCOC) को सफल बनाने के लिए नक्सलियों ने दो या तीन डिवीजन की मिलिट्री कंपनियों को जोड़कर संयुक्त मिलिट्री कमान का गठन किया है। इंटेलिजेंस रिपोर्ट में बताया गया है कि 24 मार्च की रात तर्रेम कैंप के पास बड़ी संख्या में नक्सली जमा हुए थे। उन्होंने बासागुड़ा से तर्रेम के बीच कई जगह सड़क भी काट दी है।
हालांकि, नक्सली कैंप पर हमला करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। कैंप सैन्य रणनीति के मुताबिक सुरक्षा के पूरे मापदंडों को ध्यान में रखकर स्थापित किए जा रहे हैं। यहां हमला करना आसान नहीं है। जवान भी पूरी तरह अलर्ट हैं। नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने की रणनीति बनाई गई है।
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बस्तर के आइजी सुंदरराज पी के मुताबिक, फोर्स के कैंप ग्रामीणों की सुविधा केंद्र के तौर पर काम कर रहे हैं। कैंप खुलने से बुनियादी सुविधाओं का विकास होता है। बस्तर को नक्सलवाद से मुक्त कराने के लिए विश्वास, विकास व सुरक्षा के मंत्र पर काम कर रहे हैं।
बता दें कि दो दशकों के बाद पहली बार फोर्स बीजापुर में उसूर की सड़क को खोलने में सफल हो पाई है। इसी रास्ते पर गलगम में कैंप बना है। अब यह रास्ता सीधे तेलंगाना से जुड़ जाएगा। सुकमा के पालोडी, सिलगेर, कमारगुड़ा आदि जगहों पर कैंप खुलने से नक्सलियों का इलाका सिमटता जा रहा है।
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बीजापुर के तर्रेम से सुकमा के जगरगुंडा तक का मार्ग भी खुल रहा है। ये ऐसे इलाके हैं जिन्हें अब तक नक्सलियों का स्वतंत्र इलाका माना जाता था। जिन जगहों पर कैंप खुले हैं, वहां राशन की दुकान, स्कूल, अस्पताल आदि बुनियादी सुविधाएं पहुंचने लगीं हैं और ग्रामीणों का नक्सलियों से मोहभंग होता जा रहा है। इससे नक्सली बौखलाए हुए हैं।