दंतेवाड़ा: नक्सल हिंसा में परिजनों को खोनेवाले बच्चों के लिए सहारा बना शिवानंद आश्रम, आनेवाले कल को बेहतर बनाने के लिए कर रहा काम

शिवानंद आश्रम छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा के गीदम ब्लॉक के गुमरगुंडा में है। यहां गरीब बच्चे निःशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। सभी बच्चे नक्सल पीड़ित हैं, इन सभी ने नक्सल हिंसा में अपने परिजनों को खोया है।

Shivananda Ashram

फाइल फोटो।

साल 1979 में स्थापित इस आश्रम (Shivananda Ashram) में दंतेवाड़ा के साथ-साथ आज बीजापुर, बस्तर और सुकमा जिले के बच्चे भी रहते हैं।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का दंतेवाड़ा जिला यूं तो नक्सली गतिविधियों के लिए कुख्यात है, पर यहां कुछ ऐसे लोग और संस्थाएं भी हैं, जो हिंसा और डर के इस माहौल में इंसानियत को जिंदा रखने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं।

ऐसी ही एक संस्थान है ‘शिवानंद आश्रम’ (Shivananda Ashram), जिसका मकसद मानवता की सेवा करना है। यह आश्रम आने वाले कल को बेहतर एवं खुशहाल बनाने के लिए प्रयासरत है।

यह आश्रम छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र दंतेवाड़ा के गीदम ब्लॉक के गुमरगुंडा में है। यहां गरीब बच्चे निःशुल्क शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। सभी बच्चे नक्सल पीड़ित हैं, इन सभी ने नक्सल हिंसा (Naxal Violence) में अपने परिजनों को खोया है।

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अब इन सभी बच्चों की जिम्मेदारी शिवानंद आश्रम (Shivananda Ashram) ने ले रखी है। यहां इन्हें ज्ञान, योग, अध्यात्म, कृषि आदि विषयों की शिक्षा दी जाती है। आश्रम इन बच्चों के लिए भोजन, कपड़ा इत्यादि बुनियादी जरूरतों की व्यवस्था भी करता है।

इस आश्रम में बच्चों को सामान्य शिक्षा देने के साथ-साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जाता है ताकि इन बच्चों को आगे चलकर जीविका चलाने में कोई परेशानी ना आए। यहां से निकले हुए बच्चे आज कई जगह सरकारी नौकरियां कर रहे हैं।

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साल 1979 में स्थापित इस आश्रम (Shivananda Ashram) में दंतेवाड़ा के साथ-साथ आज बीजापुर, बस्तर और सुकमा जिले के बच्चे भी रहते हैं। यहां इन बच्चों को प्राइमरी स्तर की शिक्षा दी जाती है। इसके बाद इन बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए गीदम भेज दिया जाता है।

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यहां पर ये बच्चे मिडिल और हाईस्कूल की पढ़ाई करते हैं। पिछले कुछ सालों से सरकार की तरफ से इस आश्रम को मदद मिल रही है। बच्चों को पढ़ाने के लिए इस आश्रम में सरकार की ओर से भी शिक्षक बहाल किए गए हैं। 

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