दो साल से LoC पर सामान्य होते हालातों के बीच फिर से ऐसी घटनाएं होना कहीं न कहीं अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान (Taliban) के कब्जे का असर है।
अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद से दुनिया भर में आतंकवाद (Terrorism) का खतरा बढ़ गया है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। तालिबान के आने के बाद नियंत्रण रेखा (LoC) पर पिछले एक महीने में हलचल बढ़ी है। नियंत्रण रेखा के पार चल रहे आतंकी शिविरों में भी कुछ गतिविधियां दिख रही हैं।
इतना ही नहीं सीमापार से घुसपैठ की कोशिश की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। बता दें कि पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह भी स्वीकार कर चुके हैं कि घुसपैठियों के एक-दो दल जम्मू कश्मीर में दाखिल होने में कामयाब रहे हैं। जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में बीते दो महीने में केवल राजौरी-पुंछ जिलों में घुसपैठ की कोशिश कर रहे 10 आतंकी (Terrorists) मारे जा चुके हैं।
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बीते एक सप्ताह में श्रीनगर में ही सुरक्षाबलों पर करीब चार बार ग्रेनेड हमले भी हुए हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि दो साल से LoC पर सामान्य होते हालातों के बीच फिर से ऐसी घटनाएं होना कहीं न कहीं अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे का असर है। हालांकि, सुरक्षाबलों का कहना है कि ये घटनाएं अस्थायी हैं और जल्द ही स्थिति पूरी तरह सामान्य होगी।
बता दें कि आतंकियों के खिलाफ सुरक्षाबलों का अभियान भी और तेज हो गया है। इस साल जम्मू कश्मीर में अब तक 105 के करीब आतंकी मारे गए हैं और इनमें से 45 आतंकी पहली जुलाई से 30 अगस्त, 2021 तक मार गिराए गए।
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सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के अनुसार, अफगानिस्तान में तालिबान की गतिविधियों में इजाफे के साथ ही कश्मीर में आतंकी और अलगाववादी ताकतों की सक्रियता फिर बढ़ती दिखी। पत्थरबाज फिर कुछ मुठभेड़स्थलों पर सक्रिय होते देखे गए।
लश्कर के हिट स्क्वाड कहे जाने वाले आतंकी संगठन टीआरएफ ने टारगेट किलिंग से दहशत फैलाने की कोशिश की। पर सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में उसके कमांडर को ढेर कर दिया, जिससे इस आतंकी संगठन को तगड़ा झटका लगा।
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वहीं, उत्तरी कश्मीर में घुसपैठ की कोई घटना तो सामने नहीं आई, पर हथियारों के जखीरे मिले हैं। इसके अलावा, स्वतंत्रता दिवस से पहले लगातार दर्जन भर से अधिक आईईडी बरामद हुईं। 12 अगस्त को श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर बीएसएफ के काफिले पर एक बड़े हमले को नाकाम कर दिया गया था।