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CRPF अफसर प्रकाश रंजन मिश्रा: नाम सुनते ही कांप उठते हैं नक्सली, जानें इनकी ‘शौर्य चक्र’ पाने की पूरी कहानी

CRPF अफसर प्रकाश रंजन मिश्रा

यह 17 सितंबर, 2012 की है। सीआरपीएफ (CRPF) अफसर प्रकाश रंजन मिश्रा को मोबाइल पर एक इन्फॉरमर ने सूचना दी थी कि नक्सली धीरज यादव, रघुवंश यादव और अरविंद भुईंया तीनों दस्ते में शामिल हैं।

सीआरपीएफ (CRPF) अफसर प्रकाश रंजन मिश्रा का नाम सुनते ही नक्सली (Naxalites) कांप उठते हैं। वे सीआरपीएफ के उन चुनिंदा जवानों में से एक हैं जिन्होंने अबतक 100 से ज्यादा नक्सलियों को मौत के घाट उतारा है। साल 2012 में चतरा जिले में पोस्टिंग के दौरान प्रतापपुर के जंगल में नक्सलियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन के दौरान भी उन्होंने बहादुरी की मिसाल पेश की थी।

बड़ी संख्या में नक्सलियों का दस्ता इनके सामने था। इसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए, लेकिन मोर्चे पर डटे रहे। एयरलिफ्ट करके इन्हें सकुशल निकाला गया था।

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दरअसल, बात 17 सितंबर, 2012 की है। सीआरपीएफ (CRPF) अफसर प्रकाश रंजन मिश्रा को मोबाइल पर एक इन्फॉरमर ने सूचना दी थी कि नक्सली धीरज यादव, रघुवंश यादव और अरविंद भुईंया तीनों दस्ते में शामिल हैं। खबर पुख्ता होते ही उन्होंने अपने सीनियर अधिकारी कर ऑपरेशन के लिए इजाजत मांगी। इसके बाद अन्य साथियों के साथ टीम का गठन कर ऑपरेशन प्लान कर लिया।

उन्होंने टीम को बताया कि खबर मिली है कि नक्सलियों को जोनल कमांडर अरविंद भुईंया उर्फ मुखिया चतरा इलाके में है। हमारा इनफॉर्मर भी दस्ते के साथ है। अब हम अटैक करेंगे। उन्होंने चतरा के प्रतापपुर थाने के राबदा गांव को अपना टारगेट सेट किया। जंगल के रास्ते गांव तक पहुंचा गया। शाम साढ़े सात बजे उन्होंने टीम के साथ कूच किया।

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राबदा गांव पहुंचकर उन्होंने और उनकी टीम ने नक्सलियों को ढेर कर दिया। एक नक्सली मारा गया और बाकी घायल ही पकड़ लिए गए। मोर्चे पर सीआरपीएफ जवान घायल हुए। स्वयं प्रकाश रंजन मिश्रा को पांच गोली लगी लेकिन बावजूद इसके वे नक्सली को अपनी बंदूक से छलनी करने में कामयाब हुए थे।

उन्होंने और उनके साथियों ने गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद धैर्य नहीं खोया और वीरतापूर्वक नक्सलियों के साथ गोलीबार करते रहे। दोनों तरफ की गोलीबारी के दौरान, एक नक्सली मारा गया और अन्य गोलियों से घायल हो गए थे।

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मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद वे उनकी नक्सिलयों पर लगातार गोलीबारी करते रहे। इसके कारण नक्सलियों को हार माननी पड़ी। मिश्रा की इस बहादुरी के लिए उन्हें तत्कालीन पूर्व दिवंगत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ‘शौर्य चक्र’ से सम्मानित किया।