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लाल आतंक ले रहा अंतिम सांसें, रमन्ना की मौत के बात कुख्यात नक्सली नेता गणपति कर सकता है सरेंडर

सांकेतिक तस्वीर।

कुछ महीने पहले ही दंडकारण्य के शीर्ष नक्सली नेता रमन्ना की भी मौत हो गई। अब नक्सलियों के एक और बड़े नेता (Naxali Leader) के सरेंडर करने की खबर आ रही है। ऐसे में अब नक्सली संगठन का बिखरना तय माना जा रहा है।

लाल आतंक (Naxalism) अब अंतिम सांसें ले रहा है। बड़े नक्सली नेता (Naxali Leader) या तो मारे जा रहे हैं, गिरफ्तार हो रहे हैं या फिर आत्मसमर्पण कर रहे हैं। कुछ महीने पहले ही दंडकारण्य के शीर्ष नक्सली नेता रमन्ना की भी मौत हो गई। अब नक्सलियों (Naxals) के एक और बड़े नेता के सरेंडर करने की खबर आ रही है। ऐसे में अब नक्सली संगठन का बिखरना तय माना जा रहा है। 

दरअसल, नक्सलियों के शीर्ष नेता और माओवादी सेंट्रल कमेटी के पूर्व मुखिया कुख्यात गणपति उर्फ लक्ष्मण राव के आत्मसमर्पण की चर्चा है। बस्तर आइजी सुंदरराज पी ने बताया कि उन्हें भी ऐसी सूचना मिली है। हालांकि, अब तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। बस्तर पुलिस लगातार आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और ओडिशा पुलिस के संपर्क में है।

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बताया जा रहा है कि गणपति ने अबूझमाड़ के घने जंगलों में ही अपना डेरा बना रखा है। काफी कम लोगों ने ही उसे सार्वजनिक रूप से देखा है। नक्सली विचारधारा को खून-खराबे तक ले जाने वाले शीर्ष रणनीतिकारों में गणपति का हाथ भी रहा है। यदि नक्सली नेता (Naxali Leader) गणपति सरेंडर कर देता है तो यह नक्सली संगठन के लिए बहुत बड़ा झटका होगा।

केंद्रीय और आंधप्रदेश की खुफिया एजेंसियों के हवाले से मिली खबरों के मुताबिक, गणपति गंभीर रूप से बीमार है। उसकी किडनी खराब हो गई है। उसके घुटने में दिक्कत है। शुगर और बीपी की भी शिकायत है। फिलहाल उसकी स्थिति चलने-फिरने की नहीं है। लंबे समय से संगठन की गतिविधियों से भी वह दूर है।

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इसी वजह से केंद्रीय कमेटी में दूसरे नंबर के सदस्य नंबाला केशव राव को संगठन की कमान सौंपी गई है। बता दें कि गणपति यानी मुपल्ला लक्ष्मण राव, ऊर्फ गणपति ऊर्फ लक्ष्मण राव, ऊर्फ राजि रेड्डी, ऊर्फ श्रीनिवास राव मूल रूप से आंध्रप्रदेश के करीमनगर का रहने वाला है। वह 30 साल से नक्सली संगठन में सक्रिय है। लंबे समय तक वह माओवादियों की सेंट्रल कमेटी का सचिव रहा।

साल 2018 में बीमार होने के कारण उसने इस्तीफा दे दिया था। उसकी उम्र करीब 80 साल है। उसके सिर पर 36 लाख रूपये का इनाम घोषित है। पुलिस के पास उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार, वह साइंस में स्नातक गणपति बीएड करने के बाद शिक्षक बना, लेकिन बाद में नक्सली संगठन से जुड़ गया।

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नक्सली नेता (Naxali Leader) गणपति को साल 1977 में पहली बार पकड़ा गया था। 1979 में वह जमानत पर रिहा हुआ था। उसके बाद से वह कभी पुलिस के हाथ नहीं आया। देश में सक्रिय नक्सली संगठनों (naxal Organizations) के गठजोड़ से साल 2004 में सीपीआई (माओवादी) संगठन बना। गणपति को उसी साल इसकी केंद्रीय कमिटी का महासचिव बनाया गया था।