सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात जवान शहीद, ऑक्सीजन लेवल कम होने से बिगड़ी थी हालत

शहीद दीवान चंद (Martyr Deewan Chand) की अंतिम यात्रा में गांव के लोगों का काफिला भारत माता और शहीद दीवान चंद अमर रहे के नारे लगाते हुए चल रहे थे।

Martyr Deewan Chand

राजकीय सम्मान के साथ शहीद दीवान चंद का अंतिम संस्कार किया गया।

दीवान चंद (Martyr Deewan Chand) सियाचिन की सेकेंड ग्लेशियर की पोस्ट पर तैनात थे। ऑक्सीजन लेवल कम होने की वजह से 28 अगस्त की सुबह उनकी तबीयत बिगड़ गई।

देश की सरहदों की हिफाजत के लिए सेना के जवान मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में भी डटे रहते हैं। ये मुश्किल परिस्थितियां कभी कभी जवानों की जान भी ले लेती हैं। पर फिर भी भारत भूमि की रक्षा के लिए ये वीर अडिग रहते हैं। देश की सरहद पर तैनात जवान दीवान चंद ड्यूटी के दौरान ऐसी ही मुश्किल परिस्थिति से लड़ते हुए शहीद (Martyr) हो गए।

दीवान चंद (Martyr Deewan Chand) सियाचिन की सेकेंड ग्लेशियर की पोस्ट पर तैनात थे। ऑक्सीजन लेवल कम होने की वजह से 28 अगस्त की सुबह उनकी तबीयत बिगड़ गई। साथी जवानों ने उन्हें बेस कैंप में भर्ती करवाया। जहां देर शाम जवान ने दम तोड़ दिया। शहीद दीवान चंद (Martyr Deewan Chand) हरियाणा के करनाल के बसी अकबरपुर के रहने वाले थे।

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31 अगस्त को शहीद जवान का पार्थिव शरीर उसके पैतृक गांव पहुंचा। यहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। सेना अधिकारियों के मुताबिक, 28 अगस्त की सुबह जवान दीवान चंद की अचानक तबीयत बिगड़ गई। हेलीकॉप्टर से उन्हें बेस कैंप भेजा गया। 28 अगस्त की शाम को सूबेदार जोगीराम ने शहीद दीवान चंद (Martyr Deewan Chand) के परिजनों को सूचना दी।

शहीद की पत्नी रेशमा, 13 वर्षीय मोहित तथा 10 वर्षीय हिमांशु का रो-रोकर बुरा हाल था। 31 अगस्त को ढाई बजे शहीद जवान का शव घरौंडा के बसी अकबरपुर पहुंचा। दीवान चंद की शहादत को नमन करने पूरा गांव उमड़ पड़ा। युवा, बुजुर्ग, महिला व बच्चे घरों की छतों, गलियों और चौबारों पर खड़े होकर सलामी दे रहे थे।

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शहीद दीवान चंद (Martyr Deewan Chand) की अंतिम यात्रा में गांव के लोगों का काफिला भारत माता और शहीद दीवान चंद अमर रहे के नारे लगाते हुए चल रहे थे। गांव के श्मशान घाटपर शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।

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शहीद दीवान चंद (Martyr Deewan Chand) को बड़े भाई ज्ञानचंद ने मुखाग्नि दी। इसके बाद सेना के जवानों ने ज्ञानचंद को तिरंगा सौंपा। बता दें कि शहीद दीवान चंद साल 1997 में बरेली में रंगरूट भर्ती हुए थे। ट्रेनिंग के बाद 4 जाट रेजिमेंट के जवान दीवान चंद मुरादाबाद में तैनात रहे। करीब डेढ़ साल पहले उनकी पोस्टिंग सियाचिन में हुई थी।

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