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छत्तीसगढ़: ‘लोन वर्राटू’ अभियान का असर, दंतेवाड़ा में 11 नक्सलियों ने छोड़ा नक्सलवाद का रास्ता

33 Naxali surrendered I सांकेतिक तस्वीर।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के दंतेवाड़ा जिले के किरंदुल थाना क्षेत्र के हिरोली ग्राम पंचायत के 11 नक्सलियों (Naxalites) ने 22 जुलाई को सरेंडर (Surrender) कर दिया। इन नक्सलियों ने दंतेवाड़ा जिले में नक्सल उन्मूलन के तहत चलाए जा रहे ‘लोन वर्राटू’ अभियान के तहत नक्सली विचारधारा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया है।

सरेंडर करने वाले सभी नक्सली जिले में सक्रिय नक्सलियों (Naxals) की मलंगिर एरिया कमिटी से जुड़े थे। इनमें जनमिलिशिया सदस्य जोगा, सीएनएम सदस्य कोशा सहित 9 अन्य नक्सलियों (Naxalites) ने किरंदुल थाना पहुंचकर सरेंडर किया। ये नक्सली अब लाल आतंक को हमेशा के लिए अलविदा कह खेती कर परिवार के साथ अपना जीवन सुकून से जीना चाहते हैं।

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आत्मसमर्पण के दौरान दंतेवाड़ा के एसपी अभिषेक पल्लव सहित सीआरपीएफ (CRPF) के अधिकारी भी मौजूद थे। किरंदुल थाने पहुंचे एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा कि वे नक्सलियों से हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने की अपील कर रहे हैं। सरकार इन्हें हर संभव सहयोग देगी।

बता दें कि जिले में चलाए जा रहे ‘लोन वर्राटू’ अभियान के तहत यहां लगातार नक्सलियों (Naxalites) का सरेंडर हो रहा है। अब तक 67 नक्सली मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं। इनमें 16 इनामी नक्सली भी शामिल हैं। 22 जुलाई को ही नक्सल प्रभावित बस्तर (Bastar) जिले में 5 लाख की इनामी महिला नक्सली (Woman Naxali) ने पुलिस (Police) के सामने सरेंडर (Surrender) कर दिया था।

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कटेकल्याण एरिया कमेटी की सदस्य और चेतना नाट्य मंडली की अध्यक्ष रही दसमी ने पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज, सुन्दरराज पी, पुलिस अधीक्षक बस्तर दीपक कुमार झा, सीआरपीएफ (CRPF) की 80वीं बटालियन के कमाडेंट अमिताभ कुमार की उपस्थिति में आत्मसमर्पण किया।

बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने 22 जुलाई को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि दसमी नक्सलियों द्वारा किए जा रहे जघन्य अपराधों, विकास विरोधी नीति तथा खोखली विचारधारा से त्रस्त थी। जिसकी वजह से उसने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण का फैसला किया।

आत्मसमर्पण करने वाली महिला नक्सली (Woman Naxali) के अनुसार, वह नक्सलियों की खोखली विचारधारा से तंग आ चुकी थी। उसने कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत बस्तर जिले में संचालित ‘आमचो बस्तर-आमचो पुलिस’ कार्यक्रमों के दौरान राज्य शासन की पुर्नवास नीति और आत्मसमर्पित नक्सलियों को मिलने वाले फायदे से प्रभावित होकर उसने आत्मसमर्पण (Surrender) किया है।