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छत्तीसगढ़ में विकास को मिलेगी रफ्तार, बोधघाट सिंचाई परियोजना से चमकेगी राज्य की किस्मत

फाइल फोटो।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) बोधघाट परियोजना (Bodhghat Irrigation Project) को बस्तर की बड़ी जरूरत बताते हुए इसके भविष्य को लेकर बिल्कुल आश्वस्त हैं।

नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में विकास को रफ्तार देने के लिए राज्य सरकार ने कमर कस ली है। सरकार ने बोधघाट बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना (Bodhghat Irrigation Project) को आगे बढ़ाने के लिए तेजी से काम शुरू कर दिया है। केंद्रीय जल आयोग से प्री फिजिबिलिटी रिपोर्ट पर सहमति मिलने के बाद अब परियोजना को लेकर सर्वेक्षण और विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का काम चल रहा है।

इस विषय में सरकार का कहना है कि इस परियोजना से लगभग 3,66,580 हेक्टेयर में सिंचाई और 300 मेगावाट बिजली उत्पादन होगी। इसके साथ ही दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर जैसे धुर नक्सल प्रभावित जिले में आदिवासी किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा। इसके अलावा, पैदावार बढ़ने से 90 फीसदी किसानों को फायदा होगा। साथ ही किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

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गौरतलब है कि चार दशक से भी ज्यादा पुरानी इस बोधघाट सिंचाई परियोजना (Bodhghat Irrigation Project) को पहली बार साल 1979 में पर्यावरण स्वीकृति मिली थी। बाद में वन संरक्षण कानून, 1980 लागू होने के बाद साल 1985 में इसे फिर से पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त हुई।

लेकिन, परियोजना के खिलाफ लोगों के विरोध को देखते हुए तत्कालीन केंद्रीय वन और पर्यावरण सचिव टीएन शेषन की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी की सिफारिशों के बाद यह परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई थी।

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अब, दोबारा राज्य सरकार इस परियोजना को लेकर काफी गंभीर है। इस बाबत बघेल सरकार में सिंचाई मंत्री रवींद्र चौबे कहते हैं, ”उस समय यह मात्र बिजली परियोजना थी, इस वजह से विरोध स्वाभाविक था पर अब इस बहुउद्देशीय परियोजना का मुख्य उद्देश्य सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करवाना है।”

वे आगे कहते हैं, ”पड़ोसी राज्य तेलंगाना में गोदावरी पर बनने वाली इससे तीन गुना बड़ी कालेश्वरम परियोजना को केंद्र ने हर तरह से मंजूरी दे दी है, तो हमें लगता है कि छत्तीसगढ़ के हितों की भी उपेक्षा नहीं होगी।”

परियोजना की मुख्य बातें-

1- बहुउद्देशीय बोधघाट परियोजना छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित है। बता दें कि राज्य में इंद्रावती नदी कुल 264 किलोमीटर में बहती है।

2- परियोजना की अनुमानित लागत 22,653 करोड़ रुपए है।

3- परियोजना से 3,66,580 हेक्टेयर में सिंचाई और करीब 300 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया जाना प्रस्तावित है।

4- यह परियोजना करीब 13,783 हेक्टेयर जमीन पर शुरू होगी, जिसमें 45 फीसदी जमीन पर जंगल और 20 फीसदी पर आदिवासी आबादी है।

हालांकि, बोधघाट सिंचाई परियोजना (Bodhghat Irrigation Project) को लेकर कई तरह की आशंकाएं भी जताई जा रही हैं। इस परियोजना के लिए चिन्हित जमीन वन क्षेत्र है और यहां बड़ी संख्या में आदिवासी रहते हैं। इसलिए जंगलों की कटाई और आदिवासियों के पुनर्वास का सवाल भी पैदा होता है।

नक्सल प्रभावित इलाका होने की वजह से सरकार के खिलाफ विरोध बढ़ने का भी खतरा है। इसके अलावा, इसके लिए ग्राम सभाओं की मंजूरी लेनी भी जरूरी है। इन सब बातों को देखते हुए इस परियोजना को आगे बढ़ना मुश्किल भरा हो सकता है।

वैसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) इस परियोजना को बस्तर की बड़ी जरूरत बताते हुए इसके भविष्य को लेकर बिल्कुल आश्वस्त हैं। वे कहते हैं, ”इस परियोजना के प्रभावितों के लिए पुनर्वास और व्यवस्थापन की बेहतर व्यवस्था की जाएगी। प्रभावितों का किसी भी तरह का नुकसान न हो, इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा।”