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Chhattisgarh: दंतेवाड़ा जिला पंचायत अध्यक्ष ने पक्के स्कूल भवनों के लिए की पहल, राज्य सरकार को लिखा पत्र

सांकेतिक तस्वीर।

दंतेवाड़ा (Dantewada) जिले में कुल 17 पोर्टाकेबिन (आवासीय विद्यालय) संचालित हैं। प्रत्येक पोर्टाकेबिन की क्षमता 500 विद्यार्थियों की है। इन संस्थाओं में कुल विद्यार्थियों की संख्या छह हजार 298 है।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सल प्रभावित (Naxal Area) दंतेवाड़ा (Dantewada) जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष ने क्षेत्र में पक्के स्कूल भवनों के लिए पहल की है। बस्तर के नक्सल प्रभावित तीन जिलों दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर के ऐसे स्कूलों में पांच सौ और एक हजार तक बच्चों के पढ़ने, रहने और खाने के प्रबंध के साथ स्कूलों का संचालन किया जा रहा है।

दरअसल, साल 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल भवनों में फोर्स के रुकने पर पाबंदी लगा दी थी, क्योंकि नक्सली (Naxals) इन्हें निशाना बनाते थे। पर फिर भी नक्सलियों ने करीब 300 स्कूल भवन ध्वस्त कर दिए थे। समस्या से निपटने के लिए इन इलाकों में बांस से बने पोर्टाकेबिन बनाए गए। पर बांस से बने पोर्टाकेबिन सुरक्षित नहीं हैं।

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दरअसल, जिले के गीदम ब्लाक के कारली स्थित पोर्टाकेबिन में 17 नवंबर को आग लग गई। आग से कुछ मिनटों में ही सब कुछ जल कर खाक हो गया। इस घटना के बाद पक्के भवनों की जरूरत महसूस की जा रही है। दंतेवाड़ा (Dantewada) जिला पंचायत अध्यक्ष तूलिका कर्मा ने इस बाबत राज्य सरकार को पत्र लिखा है।

जिले के 17 पोर्टाकेबिन की जगह पक्के भवन बनाने का प्रस्ताव दिया गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के पत्र को राज्य सरकार केंद्र सरकार के पास भेजेगी। दंतेवाड़ा नक्सल प्रभावित जिला है और यहां केंद्रीय मद से शैक्षणिक भवन व अन्य व्यवस्था के लिए आसानी से रकम उपलब्ध होती है। पोर्टाकेबिनों के पक्के भवन के लिए भी केंद्रीय मद से राशि उपलब्ध कराने की बात कही जा रही है।

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गौरतलब है कि जिले में कुल 17 पोर्टाकेबिन (आवासीय विद्यालय) संचालित हैं। प्रत्येक पोर्टाकेबिन की क्षमता 500 विद्यार्थियों की है। इन संस्थाओं में कुल विद्यार्थियों की संख्या छह हजार 298 है। जिले के अंदरूनी इलाकों के छह पोर्टाकेबिन बांस से बनाए गए हैं। ये कारली, कुआकोंडा क्रमांक-1, गाटम, हितामेटा, कासोली और बांगापाल में हैं।

जिला पंचायत दंतेवाड़ा के अध्यक्ष तूलिका कर्मा ने बताया कि अब समय बदल रहा है। बच्चों की सुरक्षा जरूरी है इसलिए उनके शाला और छात्रावास भवन पक्के ही नहीं सर्वसुविधायुक्त होने चाहिए। जिले के सभी छात्रावासों को पक्का बनाने राज्य सरकार और शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर मांग की गई है। उम्मीद है बच्चों की सुरक्षा के लिए बेहतर मापदंड और गुणवत्ता वाले भवन बनाए जाएंगे।

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बता दें कि दो दशक पहले शैक्षणिक भवनों में फोर्स ठहरती थी। इसका विरोध करते नक्सलियों ने पक्के भवनों को तोड़ दिया था। तब प्रशासन ने बच्चों के शैक्षणिक व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने बांस निर्मित आवासीय शाला भवन बनाए थे। कुछ हाईस्कूल भवनों को भी बांस से तैयार किया गया था, ताकि फोर्स स्कूलों का उपयोग मोर्चा के रूप में न कर सके।