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Farm Laws 2020: सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक तीनों कृषि कानूनों पर लगाई रोक, आगे क्या हैं संभावनाएं?

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तीनों कृषि कानूनों (Farm Laws 2020) पर अगले आदेश तक रोक लगा दिया है और एक कमेटी का गठन किया है। इससे पहले, कोर्ट ने समिति के पास न जाने की बात पर किसानों को फटकार लगाई और कहा कि हम समस्या का हल चाहते हैं, मगर आप अनिश्चितकालीन आंदोलन करना चाहते हैं तो आप कर सकते हैं।

कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं और किसान आंदोलने से जुड़े याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार-किसान संगठनों में कोई समझौता ना होते देख, ये सख्त फैसला लिया और एक कमेटी का गठन कर दिया। अब कमेटी ही अपनी रिपोर्ट अदालत को देगी, जिसपर आगे का फैसला होगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान सख्ती बरती और दोनों पक्षों को फटकार लगाई।

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कृषि कानूनों को लेकर सरकार की दलील कोर्ट में नहीं चली और आखिरकार कानूनों पर रोक लग गई। सरकार ने किसानों को मनाने की कई कोशिशें की, लेकिन बात नहीं बन सकी। अदालत ने भी माना कि सरकार इस मुद्दे को सुलझाने में विफल रही है, ऐसे में सरकार अपने दम पर आंदोलन को समाप्त नहीं कर सकी। अब पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने ही हाथ में ले लिया है।

अब संभावना दो बातों की है। एक तरफ, अदालत द्वारा बनाई गई कमेटी हर पक्ष से बात करने के बाद अपनी राय रखेगी। ऐसे में अगर कृषि कानून में खामियां गिनाई जाती हैं, तो केंद्र पर इन्हें वापस लेने का दबाव बन सकता है। तो दूसरी तरफ, कमेटी सभी पक्षों से बात करेगी, चाहे कानून समर्थक हो या विरोधी। ऐसे में अगर कमेटी द्वारा दी गई रिपोर्ट कानून के समर्थन में आती है, तो सरकार का पक्ष मजबूत होगा।

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वहीं, जिस कमेटी का गठन किया गया है, वो मुख्य रूप से किसान संगठनों से बात करेगी। इनमें पक्ष और विपक्ष दोनों ही साथ होंगे, ऐसे में मुख्य रूप से किसानों की बात सुनी जाएगी जिनपर सीधे रूप से इन कानूनों का असर पड़ना है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि अबतक कानूनों के पक्ष में उनके सामने कोई याचिका नहीं आई है।

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तो दूसरी ओर, जब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सख्ती से कमेटी बनाने और हल निकालने की बात कहा है तो किसान संगठनों को अपनी जिद छोड़कर कमेटी के सामने जाना होगा। हालांकि, किसान संगठन लंबे वक्त से कानून वापसी की अपील कर रहे हैं। वे सरकार के संशोधन और कमेटी के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर रहे हैं। यदि किसान कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे तो ये बात सरकार के पक्ष में जा सकती है। क्योंकि इसे समस्या के समाधान में सहयोग न करने और अदालत का आदेश न मानने के तौर पर देखा जाएगा।