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Myanmar: म्‍यांमार सेना का खूनी खेल, ‘आर्म्ड फोर्सेज डे’ को 169 प्रदर्शनकारियों की मौत

सेना प्रदर्शनों को बुरी तरह कुचलने का प्रयास कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय म्‍यांमार (Myanmar) की सेना की इन अमानवीय कार्रवाईयों की कड़ी आलोचना की है।

म्‍यांमार (Myanmar) में हालात लगातार बेकाबू होते जा रहे हैं। 29 मार्च को भी म्‍यांमार सिक्‍योरिटी फोर्स ने सैन्‍य शासन का विरोध कर प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई। इनमें से तीन की मौत यंगून में और दो की मिंग्‍यान में हुई है। इससे पहले, म्यांमार में ‘आर्म्ड फोर्सेड डे’ भयावह रहा।

म्यांमार नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, ‘आर्म्ड फोर्सेज डे’ को 50 शहरों और कस्बों में प्रोटेस्ट कर रहे 169 प्रदर्शनकारी मारे जा चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार, आर्म्ड फोर्सेज डे के मौके पर सेना की चेतावनी के बावजूद सड़कों पर कई प्रदर्शनकारियों उतरे थे। इन प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसाने के बाद सैन्य प्रमुख मिन आंग लाइंग और उनके जनरलों ने रात में भव्य पार्टी भी की।

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रिपोर्ट्स में ये भी सामने आया है कि जब प्रदर्शनकारियों का अंतिम संस्कार किया जा रहा था तो सेना ने उसमें भी दखल देने की कोशिश की और सेना ने ओपन फायरिंग के साथ ही ग्रेनेड्स भी फेंके थे।

असिसटेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स एडवोकेसी ग्रुप के मुताबिक म्‍यांमार में सेना द्वारा 1 फरवरी को लोकतांत्रिक सरकार का तख्‍ता पलट किए जाने के बाद से अब तक सिक्‍योरिटी फोर्स के हाथों करीब 464 लोग मारे जा चुके हैं। एडवोकेसी ग्रुप के मुताबिक, इनकी सही संख्‍या और अधिक हो सकती है।

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म्यांमार (Myanmar) में मारे जाने वाले लोगों में एक 20 साल की नर्स भी शामिल है जो रेस्क्यू टीम के साथ काम कर रही थी। थिनजार हेन नाम की इस नर्स को सिर में गोली मारी गई थी। वो उस दौरान मोन्यवा शहर में बाकी घायल प्रदर्शनकारियों की मदद कर रही थीं।

इसके अलावा एक फुटबॉलर, डॉक्टर, महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली एक्टिविस्ट, एक बैंक कर्मचारी, हड़ताल पर चल रहा एक पुलिसवाला और एक टूर गाइड जैसे कई लोग हैं जिनके मारे जाने की पुष्टि की जा चुकी है। वीमेन फॉर जस्टिस राइट्स ग्रुप की सदस्य सेलिना को भी म्यांमार (Myanmar) के कलाए क्षेत्र में प्रदर्शन के दौरान सेना ने छाती में गोली मारी थी।

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वहीं, 21 साल के पुलिस अफसर चीट लिन भी प्रोटेस्ट में शामिल थे। 4 मार्च को लिन को शूट टू किल के ऑर्डर मिले थे लेकिन लिन ने ये कहकर अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था कि इन प्रदर्शनों में उसका भाई भी शामिल हो सकता है। लिन नौकरी छोड़ने के बाद इन प्रदर्शनों में शामिल हुए थे और 27 मार्च को सेना के हिंसक एक्शन में उनकी भी मौत हो चुकी है।

इसके अलावा, मरने वालों में 11 साल की नन्ही लड़की भी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, वह 27 मार्च को हुए हमलों में मरने वाली सबसे कम उम्र की लड़की है।

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बता दें कि तख्तापलट के बाद से ही म्यांमार में जगह जगह पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनों को कुचलने के लिए लोगों को डराया-धमकाया जा रहा है। सेना प्रदर्शनों को बुरी तरह कुचलने का प्रयास कर रही है। उधर, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय म्‍यांमार (Myanmar) की सेना की इन अमानवीय कार्रवाईयों की कड़ी आलोचना की है।