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Jammu Kashmir Reorganise Bill: लोकसभा में भी पास हुआ बिल, अब बदल जाएगा देश का भूगोल

लोकसभा में भी पास हो गया जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल।

इतिहास रचा जा चुका है। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल (Jammu Kashmir Reorganise Bill) लोकसभा में भी भारी बहुमत के साथ पास हो गया। राज्यसभा में एक दिन पहले ही (5 अगस्त) को ये बिल पास हो गया था। अब बस एक चरण बचता है, राष्ट्रपति की मंजूरी। इसके बाद देश का भूगोल बदल जाएगा। इतिहास तो पहले ही अंगड़ाई लेने लगा है।

इससे पहले मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का प्रस्ताव पेश किया। सदन में यह प्रस्ताव 351 वोटों से पास हो गया। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 366 वोटों से पास हुआ। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने हंगामा किया। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कश्मीर मामला संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में लंबित है, इसलिए यह अंदरूनी मसला कैसे हो सकता है।

कश्मीर में नई पहल को हमारा समर्थन

शाह ने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इसके लिए कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है। जम्मू-कश्मीर में PoK और अक्साई चिन भी हैं। इसके लिए जान दे देंगे। गृहमंत्री ने कहा- कश्मीर मसला UN ले जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे। अगर उन्होंने सेनाओं को रोका नहीं होता तो आज पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) भी भारत का हिस्सा होता।

विवाद के बाद कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने दोहराया कि मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि जम्मू-कश्मीर 1948 से संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षण में है या नहीं? पुनर्गठन के बाद संयुक्त राष्ट्र को लेकर स्थिति क्या होगी? जिस पर अमित शाह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में इस मसले को लेकर कौन गया? तत्कालीन गृह मंत्री (सरदार पटेल) को भरोसे में लिए बिना ही तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू इसे संयुक्त राष्ट्र में ले गए। इतिहास गवाह है।

Article 370: पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ी, नहीं मिल रहा किसी का साथ

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले 70 साल पुराने अनुच्छेद 370 को केंद्र सरकार ने सोमवार को हटा दिया। इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में अनुच्छेद 370 को हटाने का संकल्प पेश किया। कुछ ही देर बाद राष्ट्रपति की मंजूरी वाली अधिसूचना भी जारी हो गई। इससे जम्मू-कश्मीर में भी भारत का संविधान लागू होने का रास्ता साफ हो गया।

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