Article 35 A

Artcile 370 हटाए जाने के पहले से जम्मू कश्मीर में एहतियातन सिक्योरिटी लॉकडाउन कर दिया गया था। इस लॉक डाउन के बाद शुक्रवार को सूबे में आंशिक रूप से फोन और इंटरनेट सेवा को शुक्रवार सुबह आंशिक रूप से बहाल कर दिया गया है।

अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मोदी सरकार ने कश्मीर को कंसन्ट्रेशन कैंप में तब्दील कर दिया है। साबित क्या करना चाहते हैं कांग्रेस के ये नेता? कभी गौर किया कि आपकी भाषा और देश को तोड़ने की साजिश करने वालों की भाषा में क्या फर्क है? डर सिर्फ भाषा को लेकर ही नहीं है, सवाल तो विचारधारा पर भी उठने लगे हैं।

Article 370 खत्म किए जाने को लेकर भारत को गीदड़भभकी देने वाला पाकिस्तान (Pakistan) अब मुसीबत में फंस गया है। अमेरिका (America) ने पाकिस्तान को दो टूक हिदायत दी है कि वह अपनी सरजमीन पर आतंकवाद के खिलाफ कारर्वाई करे ना कि भारत को धमकी दे।

पाकिस्तान ने भारत के साथ राजनयिक और व्यापारिक संबंधों को तोडने का फैसला लिया है। इतना ही नहीं पाकिस्तान के इस विरोध में भारत के राजदूत को निकाले जाने का फैसला भी शामिल है। पाकिस्तान ने भारतीय उच्चायुक्त को वापस जाने को कहा है।

I think we do need to celebrate but only by sharing those messages which convey to a local Kashmiri how he stands to benefit.

इतिहास रचा जा चुका है। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल (Jammu Kashmir Reorganise Bill) लोकसभा में भी भारी बहुमत के साथ पास हो गया। राज्यसभा में एक दिन पहले ही (5 अगस्त) को ये बिल पास हो गया था। अब बस एक चरण बचता है, राष्ट्रपति की मंजूरी।

यह मानव रहित विमान की तरह हाई रेजॉलूशन कैमरे से लैस है। यह दूर बैठै व्यक्ति को लाइव तस्वीरें और वीडियो भेज सकता है। यह लगातार 18 घंटे तक उड़ान भर सकता है। इसके अलावा यह ड्रोन कई और अत्याधुनिक तकनीकों से लैस है।

लोकसभा में अमित शाह और अधीर रंजन के बीच तीखी तकरार देखने को मिली। अमित शाह ने कहा कि कश्मीर और पीओके के लिए जान भी दे देंगे। वहीं, लोकसभा में नंबर को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि वहां भी यह बिल आसानी से पास हो जाएगा।

मंगलवार को लोकसभा में जम्मू कश्मीर राज्य पुनर्गठन बिल पेश हुआ, जिस पर बहस चल रही है। इससे पहले राज्यसभा में सोमवार को इस बिल को पास करा लिया गया।

इसके साथ ही Article 370 और 35A खत्म कर हो गया। शाह ने राज्‍यसभा में राज्य के पुनर्गठन विधेयक को पेश किया। इसके अनुसार, जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश होंगे।

कहा जाता है कि सरदार वल्लभ भाई पटेल आर्टिकल 370 की कई शर्तों से सहमत नहीं थे, लेकिन जब नेहरू जी गैरमौजूदगी में इसे पास करने का दारोमदार उन पर आया तो वो चाहते थे कि ऐसा कुछ भी न किया जाए, जो नेहरू जी को नीचा दिखाने वाला प्रतीत हो।

आर्टिकल 370 और 35A इत्यादि जिन परिस्थितियों में भी इजाद किया गया उससे भारत और कश्मीर को कोई लाभ नहीं मिला। स्वाधीन भारत की कई विफलताएं हैं, सफलताएं भी कई हैं। लेकिन जब विफलताओं की गणना की जाएगी तो हमारा कश्मीर फेल्यर हमेशा पहले पायदान पर रहेगा।

अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर विधानसभा को राज्य के 'स्थायी निवासी' की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है। अस्थायी नागरिक जम्मू-कश्मीर में न स्थायी रूप से बस सकते हैं और न ही वहां संपत्ति खरीद सकते हैं।

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