गलवान घाटी (Galwan Valley) में हिंसक झड़प के दौरान मारे गए अपने सैनिकों की पहचान करने के लिए चीन (China) तैयार नहीं है। चीन की सरकार गलवान घाटी में मारे गए अपने सैनिकों का अंतिम संस्कार करने से मना कर रही है। इतना ही नहीं चीन की सरकार ने गलवान घाटी में मारे गए चीनी जवानों के परिवारों को कहा कि वे इनका अंतिम संस्कार न करें न ही कोई निजी समारोह आयोजित करें।
इसका मतलब साफ है कि चीन की सरकार ऐसा करके गलवान घाटी (Galwan Valley) में हुई घटना को छिपाना चाहती है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की सरकार सैनिकों के परिवारों पर दबाव बना रही है कि वे शवयात्रा और अंतिम संस्कार समारोह का आयोजन न करें।
खुफिया सूत्रों के मुताबिक चीन की सिविल अफेयर्स मिनिस्ट्री ने गलवान घाटी में मारे गए चीनी सैनिकों के परिवारों को कहा है कि वो अंतिम संस्कार के पारंपरिक तरीके भूल जाएं। मंत्रालय ने आगे कहा कि अगर अंतिम संस्कार करना है तो किसी सुनसान इलाके में जाकर करें। अंतिम संस्कार पूरा करने के बाद किसी तरह का समारोह आयोजित न करें।
हालांकि, सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने का डर दिखाकर अंतिम संस्कार करने से मना किया है। बता दें कि भारत और चीन के सैनिकों के बीच 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुआ था। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए थे। साथ ही चीन के भी 40 से अधिक सैनिक मारे गए थे।
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भारत ने बिना किसी हिचकिचाहट के सैनिकों के शहादत की बात को स्वीकार किया था। शहीदों को सम्मानपूर्वक अंतिम विदाई दी गई। वहीं चीन लगातार सैनिकों की मौत की बात से इनकार कर रहा है। चीन को डर है कि अगर यह गलवान घाटी (Galwan Valley) में मारे गए चीनी सैनिकों की सूचना चीन के या अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया में फैली तो पूरे देश में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) और सरकार की फजीहत हो जाएगी, इसलिए वो अपने जवानों के अंतिम संस्कार को भी छिपाकर रखना चाहते हैं।
चीन में सैनिकों के मारे जाने पर दुख जताना तो दूर, वहां उनके परिजनों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। पहले तो चीन की सरकार ने इस घटना के बाद सैनिकों के हताहत होने की बात से इनकार कर किया और अब सैनिकों को दफनाने से भी इनकार कर दिया है। हालांकि, चीन के लोगों के बीच गलवान घाटी की खबर तेजी से फैल चुकी है।
‘द गार्जियन’ ने जून के आखिर में एक रिपोर्ट लिखी थी, जिसमें बताया था कि भारतीय जवानों की शहादत और उनके अंतिम संस्कार के वीडियो चीन के लोगों के पास सोशल मीडिया से पहुंच रहे हैं। जिसके बाद चीन के मारे गए सैनिकों के परिवार भी सरकार से सम्मान की उम्मीद कर रहे हैं। इसको लेकर वे अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। इस पर चीन की सरकार यह बहाना बना रही है कि महामारी की वजह से सरकार ने अंतिम संस्कार के पारंपरिक तरीकों को रोका है।
इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्र ने यूएस न्यूज को बताया, ‘चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने झड़प में मारे गए सैनिकों के परिवारों से कहा है कि उन्हें पारंपरिक दफन समारोह और सैनिकों के अवशेषों का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए। कोई भी अंतिम संस्कार किसी एकांत इलाके में होनी चाहिए।’
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हालांकि सरकार ने इसके लिए कोरोना (Coronavirus) संक्रमण का हवाला दिया है। यह गलवान संघर्ष में मारे गए सैनिकों के बारे में किसी भी तरह की याद को मिटाने की कोशिश है। वहीं, यूएस न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी खुफिया जानकारी के अनुसार, चीन इस बात को स्वीकार नहीं कर रहा है कि हिंसक झड़प के दौरान उसके सैनिकों को मारा गया। ऐसा वह इसलिए नहीं कर रहा है कि अपनी एक बड़ी भूल को छुपा सके।
पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में चीन को यथास्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयास के दौरान हिंसक झड़प का सामना करना पड़ा। भारत ने साफ-साफ कहा है कि यदि चीन द्वारा उच्चस्तरीय समझौतों पर अमल किया गया तो स्थिति को टाला जा सकता है। आपको बता दें कि चीन सरकार ने अब तक अपने कुछ ही अधिकारियों की मौत की बात को स्वीकार किया है। वहीं, न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया था कि चीन के करीब 43 सैनिक या तो मारे गए थे या फिर घायल हुए थे। वहीं, अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने हिंसक झड़प के दौरान चीन के 35 सैनिकों की मौत की पुष्टि की है।