गलवान घाटी (Galwan Valley) में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद भारत (India) की ओर से की गई कार्रवाई से चीन (China) तिलमिला गया है। LAC पर हुई इस इस घटना के बाद भारत ने कई चीनी ऐप पर बैन लगा दिया था। इसके अलावा भारत में चल रहे चीनी कंपनियों के कई बड़े प्रोजेक्ट्स की डील को भी भारत ने कैंसिल कर दिया था। इससे तिलमिलाया चीन (China) अब भारत को गीदड़भभकी दे रहा। चीन ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को चीन की अर्थव्यवस्था से अलग करने से दोनों देशों को भारी नुकसान होगा।
चीन की ओर से 30 जुलाई को कहा गया कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था से चीन की अर्थव्यवस्था को अलग करने की कोशिश न करे। चीन ने कहा है कि अगर भारत ऐसा करता है तो दोनों देशों को ही नुकसान होगा। चीनी राजदूत ने कहा कि चीन भारत के लिए रणनीतिक रूप से कोई खतरा नहीं है और दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है।
चीन (China) का यह बयान तब आया है जब केंद्र सरकार ने चीन के कई ऐप्स बैन कर दिए हैं। साथ ही विदेशी निवेश समेत भारत में कारोबार करने के कई नियमों में बदलाव भी किए गए हैं।
चीन (China) के राजदूत सन वेईडोंग ने ट्वीट कर लिखा, “चीन ऐसे संबंधों की वकालत करता है जो दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद हो और किसी का नुकसान ना हो। हमारी अर्थव्यवस्था एक-दूसरे की पूरक और एक-दूसरे पर निर्भर है। इसे जबरदस्ती कमजोर करना ट्रेंड के विपरीत जाना है। इससे दोनों देशों को सिर्फ नुकसान ही होगा।”
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चीनी राजदूत सन वेईडोंग ने कहा, चीन कोई विस्तारवादी ताकत या रणनीतिक खतरा नहीं है। दोनों देशों के बीच सदियों से शांतिपूर्ण रिश्ते रहे हैं। हम कभी भी आक्रामक नहीं रहे और ना ही किसी देश की कीमत पर अपना विकास किया है। चीनी राजदूत ने कहा कि चीन से ज्यादा एक अदृश्य वायरस खतरा हो सकता है।
वेईडोंग ने कहा कि भारत और चीन के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लंबे इतिहास को खारिज करना संकीर्ण सोच को दिखाता है और ये नुकसानदायक भी है। हजारों साल से दोस्त रहे देश को कुछ अस्थायी मतभेदों और मुश्किलों की वजह विरोधी और रणनीतिक खतरा बताना पूरी तरह से गलत है।
वहीं, कई मुद्दों पर दुनिया भर में चीन की हो रही फजीहत पर चीनी राजदूत ने कहा, ताइवान, हॉन्ग कॉन्ग, शिनजियांग और शिजांग चीन के आंतरिक मुद्दे हैं और इससे चीन की संप्रभुता और सुरक्षा जुड़ी है। चीन किसी दूसरे देश के आंतरिक मामले में दखल नहीं देता है और ना ही किसी बाहरी दखल को बर्दाश्त करता है।
इस बीच, गलवान घाटी मुद्दे पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने 30 जुलाई को ऑनलाइन ब्रीफिंग में कहा है कि दोनों पक्षों में सेना के पीछे हटाने को लेकर सहमति बनी है लेकिन अभी इसकी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। जल्द ही कमांडर स्तर की एक और वार्ता होगी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, “हमें उम्मीद है कि सीमाई इलाकों में शांति और स्थिरता को कायम करने और तनाव घटाने के लिए चीनी पक्ष गंभीरता से काम करेगा।”
बता दें कि 15 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद से LAC पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के आला अधिकारी कई बार वार्ता कर चुके हैं।