छत्तीसगढ़ के घोर नक्सल प्रभावित जिला दंतेवाड़ा में एक इनामी नक्सली समेत 4 नक्सलियों (Naxalites) ने लोन वर्राटू अभियान के तहत आत्मसमर्पण किया है। इनमें दो महिला नक्सली भी शामिल हैं। सबसे ज्यादा ताज्जुब की बात ये रही कि 4 में से 3 नक्सली कोरोना संक्रमित पाये गये हैं।
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इन सभी नक्सलियों (Naxalites) को बोदली कैंप में पुलिस अधिक्षक के सामने आत्मसमर्पण करवाया गया। इस कैंप में इन नक्सलियों को समर्पण करवाने के लिए बड़ी तादात में ग्रामीण पहुंचे थे। जिसके बाद इसकी सूचना एसपी और सीआरपीएफ टीम को दी गई। इस सूचना के बाद सुरक्षाबलों के साथ एसपी अभिषेक पल्लव बोदली कैंप पहुंचे और लोन वर्राटू अभियान के तहत सभी नक्सलियों का आत्मसमर्पण करवाया।
गौरतलब है कि बोदली के इस कैंप का स्थानीय ग्रामीण लगातार विरोध करते रहे हैं। लेकिन मौजूदा वक्त में सबसे बड़ा खतरा ये है कि संक्रमित नक्सली जिले के अंदरूनी गांवों में स्थानीय ग्रामीणों के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। पुलिस अधिक्षक डॉ. अभिषेक पल्लव के अनुसार, कोरोना के कारण खतरा बढ़ गया है, ऐसे में सुरक्षाबलों की टीम लगातार ग्रामीणों को इसके प्रति जागरूक कर रही है।
पुलिस के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में एक लाख रुपए का इनामी नक्सली सीएनएम अध्यक्ष सोन सिंह उर्फ शिवलाल मंडावी, सीएनएम सदस्य रैयमती मंडावी, सुदरी कश्यप और मिलिशिया सदस्य जयराम कश्यप शामिल हैं।
पुलिस ने नक्सलियों (Naxalites) को आत्मसमर्पण कराने से पहले कैंप में ही कोरोना की जांच करवाई। जहां इनमें 3 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसके बाद तीनों संक्रमितों को कोविड केयर सेंटर भेज दिया गया। इस दौरान पूछताछ में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने बताया कि ये लोग गांव में हुई मीटिंग में शामिल होने के लिए गए थे। वह गांव में ही रहते थे, वहीं वरिष्ठ नक्सली नेताओं ने उनको भी बुलाया था। जबकि पुलिस का मानना है कि नक्सलियों की इसी मीटिंग के कारण अंदरूनी गांवों में संक्रमण फैल रहा है। कैंप के पास के ही एक गांव में 5 ग्रामीण कोरोना संक्रमित पाये गये हैं।
दंतेवाड़ा एसपी के अनुसार, नक्सलियों (Naxalites) में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। सैकड़ों की तादात में नक्सली संक्रमित हैं। इसके बावजूद भी ये नक्सली गांवों में ग्रामीणों के साथ मीटिंग करके वहां संक्रमण फैला रहे हैं। इनकी ये हरकत गैर-जिम्मेदाराना है। पुलिस लगातार ग्रामीणों को समझा रही है कि वे नक्सलियों की किसी मीटिंग में न जाएं। लेकिन मजबूरी वश ये ग्रामीण नक्सलियों के दबाव में पुलिस कैंप का विरोध कर रहे है। हालांकि कैंप स्थापित होने के बाद अब यहां विकास पहुंचा है और ग्रामीण खुश हैं, धीरे-धीरे ही सही, इनमें से कुछ पुलिस का साथ दे रहे हैं। जिनके माध्यम से पुलिस लगातार नक्सलियों को माओवाद छोड़कर आत्मसमर्पण करने के लिए प्रेरित कर रही है, साथ ही समर्पित नक्सलियों की पूरी तरह से स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है।