समझौते की शर्तों को मानने से कतरा रहा है चीन, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया ये बयान

जयशंकर (S. Jaishankar) ने बताया कि इस समझौतों में यह बताया गया था कि आप सीमा पर बड़ी सेना नहीं लायेंगे और वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान किया जायेगा और इसे बदलने का प्रयास नहीं होगा।

S Jaishankar

विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध का जिक्र करते हुए बताया कि भारत और चीन के संबंध चौराहे पर हैं और इसकी दिशा इस बात पर निर्भर करती है कि क्या पड़ोसी देश सीमा पर शांति बनाये रखने के लिये हुए समझौतों को पालन करता है। पिछले वर्ष यह स्पष्ट हो गया कि अन्य क्षेत्रों में सहयोग, सीमा पर तनाव के साथ जारी नहीं रह सकता है।

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विदेश मंत्रि जयशंकर (S. Jaishankar) ने बताया कि 1962 के संघर्ष के 26 वर्ष बाद 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी चीन गए थे ताकि सीमा पर स्थिरता को लेकर सहमति बन सके। इसके बाद 1993 और 1996 में सीमा पर शांति बनाये रखने के लिये दो महत्वपूर्ण समझौते हुए ।

विदेश मंत्री जयशंकर (S. Jaishankar) ने बताया कि इस समझौतों में यह बताया गया था कि आप सीमा पर बड़ी सेना नहीं लायेंगे और वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान किया जायेगा और इसे बदलने का प्रयास नहीं होगा। लेकिन पिछले वर्ष चीन वास्तव में 1988 की सहमति से पीछे हट गया ।

विदेश मंत्री जयशंकर (S. Jaishankar) ने बताया कि सीमा पर स्थिरता के मद्देनजर कई क्षेत्रों में संबंधों में विस्तार हुआ लेकिन पूर्वी लद्दाख की घटना ने इस पर प्रतिकूल प्रभाव डाला। ऐसे में यदि सीमा पर शांति और स्थिरता नहीं होगी तब निश्चित तौर पर इसका संबंधों पर प्रभाव पड़ेगा।

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