नक्सल उन्मूलन की नई रणनीति से नक्सलियों की प्लानिंग फेल हो रही है। बस्तर (Bastar) में बीते चार दशकों से बंद पड़े रास्तों को खोला जा रहा है।
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के धुर नक्सल प्रभावित बस्तर (Bastar) संभाग से नक्सलियों (Naxalites) के सफाए के लिए सुरक्षाबलों ने नई रणनीति बनाई है। बस्तर से सटे महाराष्ट्र, ओड़िशा, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में भी नक्सलवाद (Naxalism) अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। यहां के घने जंगलों और पहुंचविहीन इलाकों का फायदा उठाकर नक्सलियों ने कब्जा कर रखा है।
हालांकि, नक्सल उन्मूलन की नई रणनीति से नक्सलियों की प्लानिंग फेल हो रही है। बस्तर (Bastar) में बीते चार दशकों से बंद पड़े रास्तों को खोला जा रहा है। अब तक पहुंचविहीन रहे अबूझमाड़ को पहुंच में लाने के लिए दंतेवाड़ा और बीजापुर जिलों में इंद्रावती नदी पर चार नए पुल बन रहे हैं।
वनोपज का बड़ा केंद्र रहे सुकमा के जगरगुंडा तक पहुंचने के तीनों रास्ते नक्सलियों ने बंद कर दिए थे। लेकिन अब दोरनापाल और अरनपुर की ओर से मजबूत सीसी सड़क बन रही है। बीजापुर जिले के बासागुड़ा की तरफ से जगरगुंडा तक सड़क बनाने के लिए सिलगेर और पुवर्ती में फोर्स की तैनाती की गई है।
सिलगेर में नक्सलियों के इशारे पर बीते चार महीने से कैंप का विरोध किया जा रहा है, लेकिन यहां भी फोर्स डटी हुई है। मिनपा, धरमारम, पालोड़ी जैसे बेहद दुर्गम इलाकों तक सुरक्षाबलों के कैंप बन गए हैं। नारायणपुर जिले में अबूझमाड़ के भीतर सड़क बन रही है। इसके अलावा, दंतेवाड़ा से नारायणपुर की बंद सड़क को खोला जा रहा है।
Coronavirus: भारत में 209 दिनों बाद दर्ज हुए सबसे कम नए मामले, दिल्ली में आए 34 नए केस
बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मांग पर मानसून से पहले ही बस्तर (Bastar) में केंद्रीय बल की पांच बटालियन भेजी गई थी। इनकी ट्रेनिंग भी हो पूरी हो गई और मानसून के पहले 12 नए कैंप खोलकर इन जवानों की तैनाती कर दी गई। बरसात खत्म होते ही दूरदराज के संवेदनशील इलाकों में और कैंप खोलने की योजना पर काम शुरू हो गया है।
केंद्रीय बल के अलावा स्थानीय फोर्स का गठन भी किया जा रहा है। राज्य सरकार ने बस्तरिया बटालियन के नाम पर सात जिलों के 2,800 युवाओं को मिलाकर चार नई बटालियन बनाने की मंजूरी दे दी है। स्थानीय लड़ाके जंगल में अक्सर नक्सलियों पर भारी पड़ते हैं लिहाजा स्थानीय बटालियन के गठन से नक्सली बौखला गए हैं।
जानकारी के अनुसार, फोर्स ने अब जो रणनीति बनाई है उसमें संचार साधनों पर खास जोर दिया जा रहा है। जंगल में बिजली लाइन खींचने व मोबाइल टावर लगाने का काम तेज गति से किया जा रहा है। एक दर्जन से ज्यादा नई सड़कों के निर्माण का प्लान बनाया गया है।
राज्य सरकार का मानना है कि परिवहन और संचार के माध्यम बढ़ेंगे तो अंदर के इलाकों में रह रहे आदिवासियों की आमदनी बढ़ेगी। अभी उनका वनोपज बिचौलिए औने पौने दाम में खरीदते हैं। जब व्यापारी वहां तक पहुंचने लगेंगे तो बेशकीमती वनोपजों का सही दाम मिलेगा।
ये भी देखें-
बस्तर के आईजी सुंदरराज पी के मुताबिक, “केंद्र व राज्य सरकार मिलकर नक्सलवाद से लड़ रहे हैं। दूसरे राज्यों से भी तालमेल बिठाया गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि फंड की कोई सीमा नहीं होगी। उनके इस एलान से बेहद पिछड़े रहे इलाकों में विकास की गति तेज होगी।”