War of 1962: साल 1950 के दौरान तिब्बत को लेकर भी चीन भारत के खिलाफ आक्रमक था। लेकिन ‘हिंदी-चीन भाई-भाई’ के नारे के चलते कभी ऐसा लगता नहीं था कि दोनों देशों में युद्ध होगा।
भारत और चीन के बीच 1962 में युद्ध (War of 1962) लड़ा गया था। इस युद्ध में भारतीय सेना (Indian Army) को हार का मुंह देखा पड़ा था। चीन ने इस युद्ध से पहले भारत पर पहले हमला क्यों किया, इसका रहस्य आज भी बरकरार है। लेकिन मोटे अनुमान कई बार लगाए जा चुके हैं। कहा जाता है कि इस युद्ध की पटकथा 1950 में ही लिखी जा रही थी।
चीन हमेशा से विस्तारवाद की नीति पर चलता आया है। भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी वह इसी रणनीति के तहत समुद्र से लेकर जमीन तक हड़प रहा है। 1950 के दौरान तिब्बत को लेकर भी चीन भारत के खिलाफ आक्रमक था। लेकिन ‘हिंदी-चीन भाई-भाई’ के नारे के चलते कभी ऐसा लगता नहीं था कि दोनों देशों में युद्ध होगा।
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चीन कई बार ऐसे नक्शे जारी करता था जिसमें भारतीय क्षेत्रों को वह अपना बना लेता था। 1959 में भी भारत-चीन सीमा पर दोनों सेनाओं के बीच झड़प की कई घटनाएं हुईं।
चीन और भारत के बीच एक लंबी सीमा है जो नेपाल और भूटान के द्वारा तीन अनुभागो में फैला हुआ है। 1962 में चीनी सेना पूर्वी सीमा पर बर्मा और भूटान के बीच वर्तमान भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश (पुराना नाम- नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी) स्थित है। 1962 के संघर्ष में इन दोनों क्षेत्रों में चीनी सैनिक आ गए थे।
भारत ने इसपर कड़ी आपत्ति जताई लेकिन चीन पीछे हटने को राजी नहीं हुआ। इसके बाद कई पोस्ट का निर्माण दोनों तरफ से हुआ और एक वक्त ऐसा आया जब दोनों देशों के सेनाएं हिंसक हो गई। 1962 के मई-जून में अचानक सीमा पर गोलीबारी की घटनाएं बढ़ गईं। चीनी सेना की कई टुकड़ियां भारतीय सीमा के भीतर घुस आईं थीं। दोनों देशों के बीच युद्ध (War of 1962) हुआ और भारत को इसमें बुरी हार मिली।
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चीन इस युद्ध में पूरी तैयारी के साथ आया था जबकि भारतीय सेना की तैयारी दुश्मन देश के मुकाबले कम थी। सेना के पास न तो हथियार थे और न ही माइनस 30 डिग्री जैसे कड़ाके की ठंड के लिए कपड़े और जूते। ऐसे में अधूरी तैयारी के साथ कभी युद्ध नहीं जीते जाते।