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वायु सेना के पायलटों के युद्धबंदी बनने के चांस ज्यादा क्यों होते हैं?

File Photo

Air Force Pilot: किसी भी युद्ध में वायु सेना की काफी अहम भूमिका होती है, पर उनके युद्धबंदी बनने का भी खतरा सबसे ज्यादा होता है क्योंकि वायु सेना के पायलट दुश्मन की जमीन पर जाकर बमबारी करते हैं। 

युद्ध के दौरान अक्सर सुनने को मिला था है कि वायु सेना के पायलट (Air Force Pilot) को युद्धबंदी बना लिया गया है। या फिर आपने यह भी सुना होगा कि युद्धबंदी वायुसेना के पायलट को रिहा कर दिया गया है। आखिर ऐसा क्यों होता है कि वायु सेना के पायलट ही युद्धबंदी बनते हैं?

दरअसल, किसी भी युद्ध में वायु सेना की काफी अहम भूमिका होती है, पर वायु सेना के जवानों खासकर पायलटों के युद्धबंदी बनने का भी खतरा सबसे ज्यादा होता है क्योंकि वायु सेना के पायलट दुश्मन की जमीन पर जाकर बमबारी करते हैं। ऐसे में कई बार बमबारी के दौरान विमान में तकनीकी दिक्कत आना या फिर विमान पर दुश्मन का हमला हो जाता है।

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ऐसे में पायलट खुद को समय रहते इजेक्ट कर लेते हैं। इजेक्ट करने के बाद पैराशुट से नीचे उतरने के बाद वे खुद को दुश्मन की सरजमीं पर पाते हैं। ज्यादात्तर ऐसा ही देखा गया है कि जवान सीमा रेखा को पार कर जाते हैं।

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान वायु सेना के कई पायलट बंदी बनाए गए थे। कुछ जवान तो पाकिस्तानी जेल से भागकर वतन लौट आए थे तो कहा जाता है कि कुछ तो अभी तक जेलों में बंद हैं।

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1962 के युद्ध में चीन ने 3942 भारतीयों को युद्धबंदी बनाया था। वहीं, भारत ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के करीब 90 हजार से ज्यादा सैनिकों को युद्धबंदी बना लिया था। हालांकि बाद में इन्हें रिहाई दे दी गई थी।