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War of 1965: भारत को कच्छ और कश्मीर में एक साथ उलझा देना चाहता था Pak! सेना ने दुश्मन की कमर ही तोड़ दी

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War of 1965: पाकिस्तान भारत को कच्छ और कश्मीर में एक साथ उलझा देना चाहता था। पर भारतीय सेना ने दुश्मन की कमर ही तोड़ दी।

भारत 1962 में चीन के खिलाफ युद्ध (War of 1965) मे हार गया था। चीन से युद्ध के तीन साल बाद पाकिस्तान ने भारत को कमजोर समझते हुए बड़ी भूल कर दी थी। पाकिस्तान भारत के खिलाफ जंग के मैदान में खड़ा हो गया था। पाकिस्तान को लगा था कि चीन से हार के बाद भारत कमजोर पड़ चुका है, लेकिन हुआ इसका उल्टा। पाकिस्तान को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा।

पाकिस्तान ने इस युद्ध (War of 1965) में भारी नुकसान झेला। युद्ध की शुरुआत तब हुई जब पाकिस्तान ने जनवरी, 1965 से ही कच्छ में अपनी नापाक हरकतें शुरू कर दी थीं। इसके साथ ही कश्मीर में भी घुसपैठ चालू कर दी थी। वह भारत को कच्छ और कश्मीर में एक साथ उलझा देना चाहता था। लेकिन, लाल बहादुर शास्त्री की ललकार पर भारतीय सेना (Indina Army) ने दुश्मन की कमर ही तोड़ दी।

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युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों भगा-भगाकर मारा था। पाक सेना को खदेड़ते-खदेड़ते एक वक्त ऐसा आया जब हमारी सेना लाहौर पर कब्जा भी कर सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। यहां तक कि सेना ने लाहौर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को भी घेर लिया था। सेना चाहती तो पाकिस्तानी के कई इलाकों पर कब्जा कर सकती थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

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दरअसल, युद्ध के दौरान जैसे-जैसे सेना आगे बढ़ती गई पाकिस्तानी सैनिक ढेर होते चले गए। एक वक्त ऐसा आया जब हमारी सेना लाहौर बॉर्डर पर खड़ी थी। पाकिस्तान ने कुछ भी हरकत नहीं की जिस वजह से सेना ने सोचा की कहीं ये दुश्मन की चाल तो नहीं। भारत ने पीओके (PoK) से करीब आठ किलोमीटर दूरी पर स्थित हाजी पीर पास पर अपना कब्जा जमा लिया था।