War of 1948: पाकिस्तान आजादी के बाद चाहता था कि कश्मीर का पाकिस्तान में विलय हो जाए। वह चाहता था कश्मीर के तत्कालीन राजा हरि सिंह पाकिस्तान के साथ मिलने के लिए हामी भर दें।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1948 के बीच कश्मीर को लेकर भीषण युद्ध (War of 1948) छिड़ा था। भारतीय सेना (Indian Army) ने इस युद्ध मे पाकिस्तान को बुरी तरह से हराया था। सेना का शौर्य और पराक्रम देख दुश्मन देश आज भी थर-थर कांप उठता होगा। इस युद्ध में पाकिस्तान की कोई भी रणनीति सफल नहीं हो सकी थी। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे जवानों ने हर मोर्चे पर दुश्मनों को चुनौती दी थी।
पाकिस्तानी सेना को हराने के बाद भारत करीब दो तिहाई कश्मीर पर कब्जा कर चुका था। इस युद्ध में पाकिस्तान के हाथ कुछ नहीं लगा। जिस कश्मीर के लिए उसने अपनी सारी ताकत झोंक दी, वह उसे कतई नहीं पा सका।
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दरअसल, पाकिस्तान आजादी के बाद चाहता था कि कश्मीर का पाकिस्तान में विलय हो जाए। वह चाहता था कश्मीर के तत्कालीन राजा हरि सिंह पाकिस्तान के साथ मिलने के लिए हामी भर दें। लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं रहा था। पाकिस्तान ताकत के दम पर कश्मीर पर कब्जा करने की फिराक में था।
इसी के तहत 12 सितंबर, 1947 को पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने सेना के साथ मीटिंग की और पाकिस्तान के बीस हजार कबायलियों को आगे करके कश्मीर पर हमला करने का प्लान बनाया।
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वर्तमान के पाक अधिकृत कश्मीर में खून की नदियां बहा दी गईं। इस खूनी खेल को देखकर कश्मीर के शासक राजा हरि सिंह भयभीत होकर जम्मू लौट आए। वहां उन्होंने भारत से सैनिक सहायता की मांग की, पर मदद पहुंचने में बहुत देर हो चुकी थी। आनन-फानन में राजा हरि सिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू से मदद मांगी।
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इस दौरान मदद देने से पहले भारत के साथ महाराजा हरि सिंह को ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’ पर हस्ताक्षर करने पड़े। इसके बाद सेना ने कश्मीर पहुंची। पाकिस्तान सेना और कबायलियों को वहां मौत के घाट उतारकर देखते ही देखते हमारे जवानों ने करीब दो तिहाई कश्मीर पर कब्जा कर लिया।