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मेजर राजेश सिंह अधिकारी ने छुड़ा दिए थे दुश्‍मनों के छक्‍के, ऐसी थी कारगिल के इस वीर सपूत की शौर्यगाथा

शहीद मेजर राजेश सिंह अधिकारी। (फाइल फोटो)

उत्तराखंड के नैनीताल में जन्मे वीर योद्धा मेजर राजेश सिंह अधिकारी  (Rajesh Singh Adhikari)ने अपनी दिलेरी का परिचय देते हुए मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध (Kargil War) में हमारी सेना (Army) ने दुश्मनों को बुरी तरह से हरा दिया था। सेना ने हर मोर्चे पर पाकिस्तानी सेना और घुसपैठियों को विफल साबित किया। युद्ध में यूं तो सभी जवानों की भूमिका अहम होती है, तभी युद्ध जीते जाते हैं, लेकिन कुछ जवान ऐसे होते हैं जो अपनी बहादुरी की ऐसी छाप छोड़ जाते हैं जो हमेशा मिसाल बनी रहती है।

कारगिल (Kargil War) में ऐसे ही कई जवान थे जिन्होंने भारत मां के लिए दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया और शहीद हो गए। वे दुश्मनों को पीठ दिखाकर भागे नहीं, बल्कि छाती पर गोली खाना ज्यादा बेहतर समझा। ऐसे ही एक जवान थे मेजर राजेश सिंह अधिकारी (Rajesh Singh Adhikari)। उत्तराखंड के नैनीताल में जन्में वीर योद्धा मेजर राजेश सिंह अधिकारी ने अपनी दिलेरी का परिचय देते हुए मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी।

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टाइगर हिल को कारगिल युद्ध (Kargil War) में बेहद ही अहम माना गया है। इस जंग में आज भी टाइगर हिल पर इंडियन आर्मी (Indian Army) के कब्जे को एक टर्निंग प्वॉइंट के तौर पर माना जाता है। दरअसल, टाइगिर हिल सामरिक रूप से बेहद ही अहम जगह है। इस पर कब्जा करना दुश्मनों को कई गुना फायदा पहुंचा देता।

कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान दुश्मन टाइगर हिल पर कब्जा जमाए बैठे थे और लगातार बमबारी और गोलियां चला रहे थे। चोटी पर चढ़कर दुश्मन के ठिकानों को बर्बाद करना ही सेना का पहला लक्ष्य था। इसके लिए सबसे पहले तोलोलिंग से घुसपैठियों का कब्जा हटाने की योजना बनाई गई। दुश्मनों पर काबू पाने के लिए मेजर राजेश सिंह अधिकारी को बड़ी जिम्मेदारी दी गई।

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इस दौरान मेजर राजेश सिंह अधिकारी और उनके साथी जवानों ने 15 हजार फीट की ऊंचाई पर चढ़ाई की और लगातार रॉकेट लॉन्चर दाग कर दुश्मनों को उलझाए रखा। दुश्मनों के बंकर के नजदीक पहुंच, देखते ही देखते उन्होंने उनके ठिकानों को तबाह कर दिया। दुश्मन सेना  को भारी नुकसान हुआ। दुश्मनों के पैर उखड़ गए। हालांकि, इस दौरान मेजर राजेश सिंह अधिकारी दुश्मनों के हमले का शिकार हो गए और मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।