Kargil War: 1999 की इस भीषण लड़ाई में अद्भुत पराक्रम दिखाने के लिए कर्नल ललित राय (Colonel Lalit Rai) को सैन्य सम्मान ‘वीर चक्र’ से नवाजा गया था।
भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़ा गया कारगिल युद्ध (Kargil War) बहादुरी की कई कहानियां सुनाता है। इस युद्ध में हमारे वीर सैनिकों ने जान की बाजी लगाकर दुश्मनों को हराया था। सेना के बलिदान और साहस की बदौलत भारत 1999 में युद्ध जीत सका था। देश पर नाज करने के कई ऐतिहासिक लम्हें आए उनमें से एक था करगिल युद्ध।
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इस युद्ध (Kargil War) में सेना ने कई ऑपरेशन लॉन्च किए थे, जिसके बाद यह बड़ी जीत हासिल हुई थी। भारत माता की रक्षा के लिए भारतीय सेना के जवान किसी भी हद तक जाने को तैयार थे। ऐसे ही एक सैनिक थे कर्नल ललित राय (Colonel Lalit Rai)।
एक ऐसे जांबाज सैनिक जिन्होंने बुरी तरह जख्मी होने के बावजूद हार नहीं मानी और दुश्मनों के खिलाफ डटकर खड़े रहे, उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया।
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1999 की इस भीषण लड़ाई में अपना पराक्रम दिखाने के लिए उन्हें सैन्य सम्मान ‘वीर चक्र’ से नवाजा गया था। ऑपरेशन विजय के दौरान तैनात पहली यूनिट 1/11 जीआर थी, जो ऊंचाई वाले जगहों पर युद्ध में माहिर थी।
दरअसल, युद्ध (Kargil War) में राय ने खतरे को भांपते हुए, 30-40 जवानों के साथ तीन तरफ से दुश्मनों पर जवाबी कार्रवाई की थी। जवाबी कार्रवाई के दौरान ही उनका घुटना क्षतिग्रस्त हो गया था।
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बुरी तरह से जख्मी होने के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और कई दुश्मनों को नुकसान पहुंचाया। राय की बहादुरी के लिए, उन्हें 15 अगस्त, 1999 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा ‘वीर चक्र’ से सम्मानित किया गया। बता दें कि पूर्व भारतीय सेना अधिकारी कर्नल ललित राय वीआरएस ले चुके हैं।
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बता दें कि भारत-पाक सीमा से सटे कारगिल क्षेत्रों में सर्दियों कड़ाके की ठंड पड़ती है। दोनों देश हमेशा की तरह इस दौरान अपनी सेनाएं पीछे हटा लेते हैं। पर 1999 में भारत ने तो ऐसा किया पर पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया था। इसी वजह से दोनों देशों के बीच यह युद्ध हुआ था।