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कारगिल शहीदों के नाम पर द्रास सेक्टर में बनाया गया है वार मेमोरियल, जानें इससे जुड़ी खास बातें

'26 जुलाई' हर वर्ष कारगिल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

शहीदों की याद में सरकार ने द्रास सेक्टर में वार मेमोरियल बनाया है। यह मेमोरियल 2004 में बनकर तैयार हुआ था। इसमें वीरों की गौरवगाथा लिखी गई है। मेमोरियल में इन शहीदों की यादों को संजोया गया है।

 

कारगिल दिवस हर साल 26 जुलाई के दिन मनाया जाता है। 1999 में पाकिस्तान के धोखे का बदला लेकर भारतीय सैनिकों ने अपने साहस का परिचय दिया था। 199 में दोनों देशों के संबंध में सुधार लाने के लिए दोनों देशों के प्रधानमंत्री एकमत थे। लेकिन पाकिस्तान में सेना का सरकार में सीधा दखल होता है और वह मनमानी करती है। ऐसी ही मनमानी तब भी देखने को मिली थी।

शिमला समझौते के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में एग्रीमेंट हुआ था। समझौते के तय हुआ था कि विंटर सीजन में दोनों देशों की सेनाएं एलओसी पर सेनाएं पीछे हटा लेंगी। पाकिस्तान ने 1999 में ऐसा नहीं किया बल्कि भारत की 400 पोस्ट पर कब्जा जमा लिया। इसका बदला लेने के लिए भारतीय सैनिकों ने करीब 2 महीने तक अलग-अलग ऑपरेशन लॉन्च कर दुश्मन को धूल चटा दी। इसमें भारत के करीब 522 जवान शहीद हुए थे।

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शहीदों की याद में द्रास सेक्टर में वार मेमोरियल बनाया गया है। यह मेमोरियल 2004 में बनकर तैयार हुआ था। इसमें वीरों की गौरवगाथा लिखी गई है। मेमोरियल में इन शहीदों की यादों को संजोया गया है। हर साल विजय दिवस के मौके पर यहां शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है। बता दें कि द्रास सेक्टर से वो चोटियां नजर आती हैं, जहां पाकिस्तान की सेना ने कब्जा जमा लिया था।

बता दें कि इस युद्ध से रहले एक तरफ भारत पाकिस्तान पर भरोसा कर रहा था दूसरी तारीफ पाक सेना भारत के खिलाफ साजिश रच रही थी। कारगिल के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर कब्जा कर पाकिस्तान कश्मीर पर अपनी पकड़ मजबूत बनाना चाह रहा था। पाक सेना के कब्जा जमाते ही भारतीय सेना को एक चरवाह ने घुसपैठ की जानकारी दी थी। इसके बाद भारतीय सेना हरकत में आई और एक के बाद एक कई ऑपरेशन लॉन्च कर दुश्मन देश के सैनिकों को ढेर किया। 

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