शहीद सौरभ कटारा (Saurabh Katara) की कहानी कलेजा चीर कर रख देती है। शादी के सिर्फ आठ दिन हुए थे, लेकिन देश की रक्षा के लिए सौरभ ने ड्यूटी ज्वॉइन की। 8 दिसंबर को इनकी शादी हुई थी और 16 दिसंबर को उन्होंने ड्यूटी ज्वॉइन कर ली थी। लेकिन होनी ने कुछ और ही लिख रखा था। सिर्फ 22 साल की उम्र में कुपवाड़ा में सौरव शहीद हो गए। 24 दिसंबर को उन्होंने वतन के लिए अपनी कुर्बानी दे दी। 25 दिसंबर को उनका जन्मदिन था।
शहीद सौरभ कटारा (Saurabh Katara) के परिजन और नवविवाहिता पत्नी जन्मदिन मनाने की तैयारी कर ही रहे थे कि इतने में उनको खबर मिली कि सौरभ बम ब्लास्ट में शहीद हो गए, परिवार पर दुखों का पहाड़ सा टूट पड़ा। शादी के महज 16 दिन बाद जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में देश सेवा के लिए शहीद (Martyr) हुए भारतीय सेना (Indian Army) के जवान सौरभ कटारा (Saurabh Katara) की पार्थिव देह को जब उनकी नवविवाहित पत्नी ने कंधा दिया तो पूरा गांव रो पड़ा। 24 दिसंबर की रात जम्मू-कश्मीर के कूपवाड़ा इलाके में शहीद हुए भरतपुर के रूपवास पंचायत समिति के बरौली ब्राह्मण गांव निवासी सौरभ कटारा की 26 दिसंबर को पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव में अंत्येष्टि कर दी गई।
सौरभ सेना की 28 आरआर रेजीमेंट में थे। सौरभ 3 साल पहले ही सेना में चालक के पद पर भर्ती हुए थे। शहीद सौरभ कटारा (Saurabh Katara) के पिता नरेश कटारा खुद भी आर्मी में थे और 2002 में सेवानिवृत हो गए थे। उन्होंने 1999 में कारगिल युद्द में भाग लिया था। सौरभ का बड़ा भाई गौरब कटारा खेती करता है और छोटा भाई अनूप कटारा एमबीबीएस कर रहा है। सौरभ आर्मी से छुट्टी लेकर विगत 20 नवंबर को अपनी बहन दिव्या की शादी में आए थे और फिर 8 दिसंबर को उसकी खुद की शादी थी। इसलिए वह बहन और अपनी शादी करने के बाद 16 दिसंबर को वापस छुट्टी बीताकर ड्यूटी पर चले गए थे।
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सौरभ की पत्नी पूनम देवी की अभी हाथों की मेहंदी भी नहीं सूखी थी कि उनके पति के शहीद होने खबर आ गई। शहीद के पिता नरेश कटारा ने बताया कि मैंने आर्मी में रहकर खुद कारगिल युद्ध लड़ा है। मुझे गर्व है कि मेरा पुत्र देश के लिए शहीद हुआ है। मैं अब अपने छोटे बेटे अनूप कटारा को भी देश सेवा के लिए आर्मी में भेजूंगा। सौरभ कटारा (Saurabh Katara) जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में हुए बम ब्लास्ट में 24 दिसंबर को शहीद हो गए। 26 दिसंबर की सुबह सौरभ कटारा की पार्थिव देह को गांव बरौली ब्राह्मण में लाया गया। जहां सेना के जवानों ने शहीद को सशस्त्र सलामी दी।
शादी के 16 दिन बाद ही पत्नी पूनम ने मेहंदी वालों हाथों से पति को कंधा दिया और श्मशान में श्रद्धांजलि देकर अंतिम विदाई दी तो हर किसी की आंखें छलक पड़ीं। इस दौरान साथ चल रहे आसपास के बीस गांवों के लोगो ने कमांडो केशव फौजी के नेतृत्व में जोश के साथ ‘जब तक सूरज चांद रहेगा-सौरभ तेरा नाम रहेगा, पाकिस्तान मुर्दाबाद…’ के नारे लगाए। इसके बाद शहीद सौरभ कटारा (Saurabh Katara) की पत्नी पूनम शर्मा ने शादी की मेहंदी के रंगों से रंगे हाथों से शहीद सौरभ की पार्थिक देह पर पुष्प अर्पित कर अंतिम विदाई दी।
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