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ITBP की पहली महिला कॉम्बैट ऑफिसर प्रकृति, शुरू से ही था देश सेवा का इरादा

प्रकृति (फाइल फोटो)।

बिहार (Bihar) के समस्‍तीपुर की रहने वाली प्रकृति ITBP में डायरेक्ट-एंट्री कॉम्बैट ऑफिसर के पद पर तैनात होने वाली पहली महिला बनीं।

इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) एक ऐसा अर्धसैनिक बल था जहां पर असिस्टेंट कमांडेंट लेवल पर महिलाओं को नहीं लिया जाता था। लेकिन वहां भी महिलाओं के लिए प्रवेश के द्वार खोल दिए गए। इसके बाद बिहार के समस्‍तीपुर की रहने वाली प्रकृति ITBP में डायरेक्ट-एंट्री कॉम्बैट ऑफिसर के पद पर तैनात होने वाली पहली महिला बनीं।

उन्होंने साल 2017 में यह सफलता हासिल की थी। प्रकृति को अपने पहले ही प्रयास में ही यह कामयाबी मिली थी। प्रकृति के मुताबिक, “मैं हमेशा से ही वर्दी पहनकर देश की सेवा करना चाहती थी। मेरे पिता भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) में हैं। वह मेरे लिए हमेशा से प्रेरणास्रोत रहे हैं।” प्रकृति ने 2016 में अखबार में एक खबर पढ़ी कि सरकार ने आईटीबीपी में महिलाओं को कॉम्बैट ऑफिसर के तौर पर नियुक्ति देगी।

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फिर क्या था, उन्होंने सीएपीएफ की तैयारी शुरू कर दी और चॉइस में ITBP को पहले स्थान पर रखा। प्रकृति ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। प्रकृति ने बताया कि उनके पैरेंट्स ने पूरी तरह से सपोर्ट किया। वे चाहती हैं कि देश के हर माता-पिता अपनी बेटियों से ऐसे ही प्यार करें और उन्हें मनचाहा करियर चुनने की आजादी दें।

सीआरपीएफ और सीआईएसएफ जैसे अर्द्धसैनिक बलों में महिलाओं के लिए काफी पहले से ही कमांडेंट बनने का विकल्प था। लेकिन बाकी फोर्सेज में बाद में महिलाओं को जाने की इजाजत दी गई। ITBP में उच्च पदों पर कुछ महिलाएं काम करती थीं। लेकिन वे डॉक्टर या फिर टेक्निकल ग्रुप के कामकाज संभालती थीं। 

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आईटीबीपी का गठन 1962 में हुआ था। देश का यह अर्धसैनिक बल चीन के साथ वास्‍तविक नियंत्रण रेखा पर 3,488 किमी के इलाके की सुरक्षा की जिम्‍मेदारी संभालता है। आईटीबीपी में 2009 से महिलाओं की भर्ती जवान के तौर पर शुरू की गई थी। लेकिन असिस्टेंट कमांडेंट लेवल पर महिलाओं की नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं था।

83 हजार जवानों की संख्‍या वाली आईटीबीपी में करीब 1,661 महिला जवान हैं। देश के सभी अर्द्धसैनिक बलों में असिस्टेंट कमांडेंट की नियुक्ति सीएपीएफ (AC) के माध्यम से होती है। यह परीक्षा हर साल यूपीएससी द्वारा आयोजित कराई जाती है जिसमें CISF, CRPF BSF, ITBP, SSB जैसी सेवाओं के लिए नियुक्ति की जाती है।

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प्रकृति के पिता राम प्रकाश राय कहते हैं कि मेरी बेटी में देश सेवा की भावना कूट-कूटकर भरी है। पिता को अपनी बेटी की ऐसी सोच और उत्साह पर गर्व है। प्रकृति की मां डॉ. मंजू राय प्लस टू उच्च विद्यालय ताजपुर में हिंदी की शिक्षिका हैं। अपनी बेटी की सफलता पर फूले नहीं समाती हैं।

कहती हैं कि पिता की जहां-जहां तैनाती रही, वहीं उसकी पढ़ाई हुई। उन्होंने केंद्रीय विद्यालय बोवनपल्ली, सिकंदराबाद से 12वीं तक की पढ़ाई की। कुछ अलग करना चाहती थी, इसलिए नागपुर विवि से 2014 में इलेक्ट्रिकल में बीटेक किया। लेकिन इरादा देश सेवा था, जिसमें उसे पहली बार में ही सफलता मिल गई।

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प्रकृति की एक और अच्छी बात यह है कि वह अपने नाम के आगे सरनेम नहीं लगाती हैं। वह कहती हैं कि उनके माता-पिता ने जानबूझ कर उनका सरनेम नहीं रखा क्योंकि वे एक जातिविहीन समाज की कल्पना करते हैं और उसे साकार करने के लिए ऐसा किया गया।