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War of 1971: BSF के पूर्व जवान कश्मीर सिंह की जांबाजी, मामूली एमएमजी से चटा दी थी दुश्मनों को धूल

फाइल फोटो

India Pakistan War 1971: कुछ जवान जंग के मैदान में एक अलग ही छाप छोड़ते हैं जो कि सालों-साल याद रखी जाती है। ऐसे ही बीएसएफ (BSF) के पूर्व जवान कश्मीर सिंह भी थे।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में हमारे वीर सपूतों ने पाकिस्तानी सेना के जवानों को हर मोर्चे पर विफल साबित किया था। पाकिस्तान सेना के 93 हजार सैनिकों ने भारत के सामने सरेंडर कर अपनी हार को स्वीकार किया था।

इस युद्ध में एक-एक सैनिक का योगदान था और रहेगा। देश इन सैनिकों का कर्ज था और हमेशा रहेगा। कुछ जवान जंग के मैदान में एक अलग ही छाप छोड़ते हैं जो कि सालों-साल याद रखी जाती है। ऐसे ही बीएसएफ (BSF) के पूर्व जवान कश्मीर सिंह भी थे। उन्होंने जंग के मैदान में  मामूली एमएमजी से दुश्मनों को धूल चटा दी थी।

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उन्होंने जंग के उन दिनों को याद करते हुए अपने अनुभव को साझा किया है। वे बताते हैं, “वह गौरवशाली जीत थी। मैं उस समय जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा क्षेत्र में वायरलेस पर तैनात था। जंग के दौरान मुझे भी दुश्मन के साथ दो दो-हाथ करने का अवसर मिला। मैं जून, 1967 में बीएसएफ (BSF) में शामिल हुआ था और 1968 में तैनाती वायरलेस विभाग में हुई।”

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वे आगे बताते हैं, “जंग के दौरान मैं बांदीपोरा क्षेत्र में नायब ऑपरेटर की पोस्ट पर तैनात था। इसके कुछ दिन बाद मुझे बीएसएफ (BSF) की टुकड़ी के साथ बड़ा पोस्ट नीरूगरेज भेज दिया गया। यहां पाकिस्तानी सेना ऊंचाई पर थी, जबकि हम नीचे। लड़ाई 14 दिन चली और हमने जबरदस्त पराक्रम दिखाया। हमारे पास छोटी तोपें और मीडियम मशीन गन (एमएमजी) ही थी। लेकिन हम एडवांस ब्राउनिंग मशीन गन (बीएमजी) वाली पाकिस्तानी फौज पर भारी पड़े थे।”