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महज 15 साल की उम्र में बन गया नक्सली, संगठन की असलियत देख कर दिया आत्मसमर्पण

सरकार की पुनर्वास नीतियों से प्रभावित होकर दंतेवाड़ा जिले में एक नक्सली कमांडर ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है। समर्पण करने वाले नक्सली का नाम बामन बेको है।

सरकार की पुनर्वास नीतियों से प्रभावित होकर दंतेवाड़ा जिले में एक नक्सली कमांडर ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया है। समर्पण करने वाले नक्सली का नाम बामन बेको है। वह नारायपुर जिले के ओरछा का जनमिलीशिया कमांडर था। साथ ही वह पिछले 15 सालों से इलाके में नक्सली गतिविधियों में सक्रिय था। संगठन में रहते हुए उसने कई नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया है। उसके सिर पर प्रशासन ने एक लाख का इनाम रखा था। नक्सली बामन ने बताया कि उसने सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण करने का फैसला किया। इस नक्सली कमांडर ने 4 जून को दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय पहुंचकर यहां पुलिस अधीक्षक अभिषेक पल्लव के सामने हथियार डाल दिया।

नक्सली बामन बोको ने पुलिस के सामने समाज की मुख्यधारा से जुड़कर एक आम नागरिक की तरह जिंदगी जीने की इच्छा जताई। 26 साल के बामन ने बताया कि वह नक्सल संगठन में साल 2005 में शामिल हुआ था। तब उसकी उम्र महज 15 साल थी। नक्सलियों के बाल संघम के सदस्य के रूप में वह वहां भर्ती हुआ था। इस दौरान वह नए युवाओं को संगठन में जोड़ने और बाहर से आने वाले बड़े नक्सलियों के लिए भोजन और आवास की व्यवस्था करने के लिए काम करता था। नक्सल संगठन में भेदभाव और उनकी खोखली विचारधारा की वजह से संगठन से उसका मोह भंग हो गया और उसने आत्मसमर्पण का निर्णय लिया।

एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि आत्मसमर्पित नक्सली को सरकार की पुनर्वास नीति के तरह सभी तरह की मदद दी जाएगी। नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षाबलों द्वारा लगातार चलाए जा रहे अभियानों और सरकार की पुनर्वास नीतियों का असर देखने को मिल रहा है। या तो नक्सली गिरफ्तार किए जा रहे या अपनी इच्छा से वे आत्मसमर्पण कर मुख्य धारा में लौट रहे हैं। इससे पहले, छत्तीसगढ़ के बस्तर में नौ नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था। इनमें तीन इनामी भी शामिल नक्सली थे। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, बीजापुर जिले में तीन इनामी नक्सलियों समेत सात नक्सलियों ने और सुकमा जिले में दो नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था।

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