Hindi News (हिंदी समाचार), News in Hindi, Latest News In Hindi

जंगल में 18 साल तक अलापता रहा हिंसा का राग, मौत के डर ने दिखाई जिंदगी की राह

8 लाख के इनामी नक्सली मड़कम अर्जुन ने किया सरेंडर।

सरकार द्वारा पुनर्वास के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी नीतियों के चलते एक के बाद हार्डकोर नक्सली आत्मसमर्पण करते जा रहे हैं। आत्मसमर्पण की एक वजह ये भी है कि नक्सली इस वक़्त प्रशासन से इतना खौफ में हैं कि इन्हें हर लम्हा अपने एनकाउंटर का डर सताता रहता है। इसलिए बंदूक़ हथियार छोड़कर मुख्यधारा में आ रहे हैं।

साउथ बस्तर डिवीजन के चेतना नाट्य मंडली के इंचार्ज मड़कम अर्जुन, जो पिछले 18 सालों से नक्सल हिंसा में सक्रिय था, जिस पर आठ लाख रुपया इनाम भी रखा हुआ था, उसने बीते शुक्रवार को सुकमा जिला प्रशासन के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इसका आत्मसमर्पण वाक़ई प्रशासन के लिए एक बड़ी कामयाबी है।

अर्जुन पर पुलिस बल पर हमले के कई संगीन आरोप हैं। साथ ही कई हिंसक घटनाओं को अंजाम देने का भी आरोप है। सुकमा जिले के कई थानों में अर्जुन के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं।अर्जुन साल 1998 में बाल संगठन सदस्य के रूप में भर्ती हुआ था, इसके बाद ये 2001 में प्रतिबंधित माओवादी संगठन में स्थायी सदस्य बन गया।

संगठन में शामिल होने के बाद अर्जुन ने संगठन की मजबूती में दिन रात लगा दिए, खूब मेहनत किया, बहुत से लोगों को इससे जोड़ा। जिसके कारण इस हिंसक संगठन में अर्जुन ऊंचे पद पर पहुंच गया। अर्जुन के पास कई तरह का हुनर था। ये खुद गीत लिखता था, नाटक में हिस्सा लेता था और वक्ता के रूप में भी इसकी पहचान थी।

इसे भी पढ़ेंः नक्सलग्रस्त दंतेवाड़ा के कावड़गांव को वालीबॉल दे रहा नई पहचान

अर्जुन को अपने लिखे गीतों, नाटकों और भाषणों के माध्यम से संगठन तथा अंदरूनी क्षेत्रों के ग्रामीणों को जोड़कर रखने में महारथ हासिल थी। अर्जुन अपनी कला के ज़रिए लोगों को हिंसक आंदोलन में जोड़ने एवं संगठन को मज़बूत करने में अहम भूमिका निभाता था।

अर्जुन का आत्मसमर्पण सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी कामयाबी है। प्रशासन अर्जुन को छत्तीसगढ़ शासन की राहत एवं पुनर्वास योजना के तहत नियमानुसार सहायता देगी, जिससे वो मुख्यधारा से जुड़कर खुशहाली के साथ जिंदगी बसर कर सके।