नफरत, जिल्लत और रुसवाई, बदहाल ललिता की कुल यही है कमाई
ललिता जब ब्याह कर अपने ससुराल आई तो सब कुछ ठीक था। रवींद्र घर पर ही रहता था। दिन हंसी-खुशी गुजर रहे थे। बमुश्किल महीना भर ही गुजरा होगा कि एक दिन गंजू लापता हो गया। फिर करीब डेढ़ महीने बाद घर लौटा तो बताया कि पार्टी के काम के सिलसिले में गया था।
जंगल में 18 साल तक अलापता रहा हिंसा का राग, मौत के डर ने दिखाई जिंदगी की राह
साउथ बस्तर डिवीजन के चेतना नाट्य मंडली के इंचार्ज मड़कम अर्जुन ने सुकमा जिला प्रशासन के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। 18 साल तक नक्सली हिंसा में शामिल रहे अर्जुन पर 8 लाख रुपए का इनाम था।
नक्सलवादियों के दिन लदने लगे हैं, काउंट डाउन शुरू
नक्सल आतंकवाद तेजी से पतन की तरफ बढ़ रहा है। पिछले 10 साल के आंकड़े तो यही कहानी बयान कर रहे हैं। नक्सली गतिविधियों में तेजी से कमी आई है।
Gone Gone Going… end game begins for Naxals
Good time to write an obituary of Naxal terror? Looks like that and figures available with us of the last 10 years clearly establish how Left wing extremists have suffered serious reverses.
मोहब्बत के हाथों मजबूर खूंखार नक्सली ने थामा ज़िंदगी का दामन
जंगल की ज़िंदगी हमेशा कठिन होती है। अंधेरे में खोई वीरानी ज़िंदगी। जंगल में रहते वक्त इस बात का एहसास...