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नक्सलवाद पर भारी मोहब्बत: बगावत कर नक्सली जोड़े ने लिख डाली अनोखी प्रेम कहानी…

मोहब्बत वो एहसास है जिसमें दुनिया बदल देने की ताकत है। इसमें कठोर से कठोर मन को भी पिघलाने की क्षमता है। यह कहानी ऐसी ही एक मोहब्बत की है। सालों से बस्तर के जंगलों में रहने वाले और खून-खराबे का खेल खेलने वाले खूंखार नक्सलियों (Naxals) की प्रेम कहानी। माड़ा और आयते नक्सली संगठन के दुर्दांत नक्सली थे। दोनों वर्षो से नक्सल संगठन में सक्रिय थे।

सांकेतिक तस्वीर।

कांकेर घाटी एरिया कमेटी में काम करने के दौरान माड़ा और आयते संपर्क में आए और धीरे-धीरे दोनों के बीच प्यार पनपा। इस दुर्दांत नक्सली जोड़े को जब इश्क हुआ तो नक्सली (Naxals) विचारधारा और संगठन की कैद में उन्हें घुटन महसूस होने लगी। इस प्यार के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा उनका अपना ही संगठन था।

नक्सली संगठन में प्यार करने की नहीं है इजाजत: सरेंडर करने वाले कई पूर्व नक्सलियों (Naxals) ने यह खुलासा किया है कि नक्सली संगठन में प्यार करने, शादी करने और परिवार बनाने पर पाबंदी होती है। अगर नक्सलियों के आकाओं को इसकी भनक भी लग जाती है तो कड़ी से कड़ी सजा दी जाती है। शादी की अनुमति बड़ी मुश्किल से मिलती है। जैसे तैसे यह अनुमति मिल भी गई तो शादी में फेरे नहीं होते, बल्कि जमीन में बंदूक गाड़कर शपथ ली जाती है कि वे नक्सली आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे। शादी के बाद जबरन पुरुष नक्सलियों की नसबंदी करा दी जाती है ताकि वह बच्चे न पैदा कर पाए। यदि कोई महिला नक्सली गर्भवती हो जाती है तो नक्सली (Naxals) जबरदस्ती उसका गर्भपात करवा देते हैं।

मोहब्बत को बचाने के लिए बनाई योजना: माड़ा और आयते की मोहब्बत का अंजाम तक पहुंचना बड़ा ही मुश्किल था। अगर संगठन में किसी को पता चल जाता तो उन्हें कड़ी सजा दी जाती। शायद, दोनों को हमेशा के लिए अलग कर दिया जाता। संगठन में सभी उनके प्यार के दुश्मन ही थे। अपनी मोहब्बत को बचाने के लिए दोनों ने उस अंधेरी दुनिया से बहुत दूर चले जाने का सोचा। माड़ा और आयते ने जंगल से भागकर आत्मसमर्पण की योजना बनाई।

माड़ा ने निभाया अपना वादा: मौका देखकर पहले आयते जंगल से भागी। उसने अगस्त, 2018 में तोंगपाल थाने में सरेंडर कर दिया। उधर, माड़ा को भागने का मौका नहीं मिल पा रहा था। आयते बेचैन थी। उसके पास माड़ा से संपर्क करने का भी कोई जरिया नहीं था। पर माड़ा ने अपना वादा निभाया और मौका पाकर एक दिन वह भी संगठन से भाग निकला। उसने भी पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। माड़ा दंतेवाड़ा पुलिस लाइन में रहता है।

प्रशासन ने की मदद: सरेंडर करने के बाद माड़ा डीआरजी में तैनात हो गया। जबकि सरेंडर के बाद आयते तोंगपाल थाने में रहने लगी। इस बीच माड़ा को जब दंतेवाड़ा में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना का पता चला तो वह जिले के एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव के पास पहुंचा। एसपी ने माड़ा की भावनाओं को समझा। उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों से सामूहिक विवाह में नक्सली जोड़े का विवाह कराने को कहा।

दोनों थे इनामी नक्सली: 1 मार्च को सरकारी सामूहिक विवाह में आखिरकार माड़ा और आयते जीवन भर के लिए एक सूत्र में बंध गए।  दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक डॉ. अभिषेक पल्लव के मुताबिक, नक्सली माड़ा मड़कामी दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण ब्लॉक के मुनगा गांव का रहने वाला है। उसकी पत्नी कुहरामी आयते सुकमा जिले के मेटापाल गांव की है। माड़ा पर पांच लाख और आयते पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित था। पुलिस उन्हें ढूंढ़ रही थी।

प्रेम कहानी को मिला खूबसूरत अंजाम: क्या पता एक दिन किसी मुठभेड़ में दोनों मारे जाते। जिस खून-खराबे की जिंदगी दोनों जी रहे थे, एक दिन उसी हिंसा का शिकार हो जाते। पर, वक्त रहते दोनों ने सही फैसला लिया। कहते हैं न- सुबह का भूला शाम को घर वापस आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते। दोनों ने मुख्यधारा से जुड़कर आम जिंदगी जीने की सोची और पुलिस प्रशासन ने भी इसमें दोनों की हरसंभव मदद की। इनकी प्रेम कहानी को एक खूबसूरत अंजाम मिल गया।

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