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झारखंड: 17 किलोमीटर साइकिल चला पढ़ने जाती हैं लड़कियां, भविष्य संवारने के लिए ‘लाल आंतक’ को दिया करारा जवाब

यूनिसेफ की मदद से वेदिक सोसाइटी लातेहार की ओर से बीते एक साल से इस दिशा में किया जा रहा प्रयास अब कामयाब होने लगा है।

नक्सल प्रभावित राज्य झारखंड के लातेहार जिले का सोहदाग गांव। यहां कभी नक्सलियों की बंदूक ही बात करती थी। लेकिन प्रशासन की सख्ती के कारण अब बंदूक की नोक पर अपनी हुकूमत चलाने वाले नक्सलियों का प्रवेश सोहदाग गांव में बंद हो चुका है। नक्सली सक्रियता कम होने के बाद गांव वालों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए काम शुरू हो गया है। यूनिसेफ की मदद से लातेहार में बीते एक साल से इस दिशा में किया जा रहा प्रयास अब कामयाब होने लगा है। इसका जीता जागता सबूत हैं रोजाना स्कूल जाने वाली लड़कियां।

गांव के सरकारी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र नियमित खुलते हैं। यहां नियमित पढ़ाई भी होती है। इसके साथ ही गांव के अभिभावकों में शिक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ने का पूरा फायदा नारी शिक्षा में तरक्की के रूप में सामने आ रहा है। इस गांव के स्कूल में आठवीं तक की पढ़ाई होती है। इसके आगे की पढ़ाई के लिए लड़कियों को 17 किमी दूर लातेहार जिला मुख्यालय आना पड़ता है। ये लड़कियां यह दूरी साइकिल से तय करती हैं। इसके बाद स्कूल की छुट्टी होने पर साइकिल से ही फिर 17 किमी की दूरी तय कर अपने घर लौटती हैं।

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गांव से रोजाना 34 किमी की दूरी तय कर पढ़ाई करने वाली छात्राओं का दो टूक कहना है कि भविष्य बनाने और अपने अभिभावकों को जागरूक करने के लिए वे कोई भी मुश्किल उठाकर वे अपनी पढ़ाई पूरी करेंगी। स्वयंसेवी संस्था वेदिक सोसाइटी ने एक साल पहले इस इलाके में शिक्षा को लेकर लोगों को जागरूक करना शुरू किया था। शुरू-शुरू में तो गांव वालों ने कोई खास रूचि नहीं दिखाई। लेकिन कुछ दिनों बाद टीम को महिलाओं का सहयोग मिलने लगा।

इसके बाद गांव में बैठकों का दौर शुरू हुआ और ग्रामीणों को शिक्षा के महत्व को लेकर वीडियो फुटेज, चित्र और समसामयिक घटनाक्रम की जानकारी दी गई। इसके बाद टीम के साथ सरकारी शिक्षक जुड़े और आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं ने भी काफी सहयोग किया। साथ ही स्वास्थ्य सहायिका एनएम के अलावा स्थानीय युवाओं के साथ कारवां बनता चला गया। इस तरह एक बड़ी टीम बनकर इन लोगों द्वारा शैक्षणिक जागरूकता को लेकर किए गए प्रयास का नतीजा है कि लोग अब शिक्षा के महत्व को समझने लगे हैं। आस-पास के इलाकों के लिए आज यह एक उदाहरण बन गया है।

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