जवानों ने घेर कर किया नक्सलियों का शिकार, पढ़िए इस ऑपरेशन के पल-पल की कहानी

इस ऑपरेशन में बिना किसी मुखबिर की सूचना के ही टीम ने जंगल में मिल रहे सुरागों के आधार पर काम किया।

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जिले के अंतागढ़ इलाके में ताड़ोकी थाने के मुरनार गांव के पास 13 जून की रात को 4 नक्सलियों को मारा गिराया गया।

छत्तीसगढ़ के कांकेर में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। सर्च ऑपरेशन पर निकली पुलिस टीम को 21 घंटे जंगल में खाक छानने के बाद यह कामयाबी मिली है। पुलिस के अनुसार, जिले के अंतागढ़ इलाके में ताड़ोकी थाने के मुरनार गांव के पास 13 जून की रात को 4 नक्सलियों को मारा गिराया गया। जिनमें से दो की लाश बरामद कर ली गई है। इस ऑपरेशन में बिना किसी मुखबिर की सूचना के ही टीम ने जंगल में मिल रहे सुरागों के आधार पर काम किया। जवानों के अनुसार, उन्हें जंगल में जूतों के निशान मिले और फिर गांव में कुत्तों के भौंकने की आवाज सुनाई दी। इससे गांव में नक्सलियों के होने खबर पुख्ता हो गई और इंतजार के बाद उन्हें घेर लिया गया।

दरअसल, अंतागढ़ थाने से 12 जून की रात करीब 12 बजे ताड़ोकी, अंतागढ़, रावघाट पुलिस और फाल्कान (पुलिस की स्पेशल टीम) की संयुक्त टीम मुरनार, मालापारा, मानकोट, माहुरपाट गांव की ओर गश्त पर निकली थी। टीम को लगातार नक्सलियों के होने के सुराग मिल रहे थे। कहीं नक्सलियों के पैरों और जूतों के निशान तो कहीं कुछ और सुराग। इन्हीं सुरागों के आधार पर टीम लगातार आगे बढ़ने लगी। मुरनार के बाहर एक पानी वाली जगह गीली जमीन पर जवानों के जूतों के निशान दिखे। जो संकेत दे रहे थे नक्सली आसपास ही हैं। जवानों ने अपने स्तर पर पता किया तो जानकारी मिली कि मुरनार के एक ग्रामीण तीजऊराम मरकाम की बेटी का मृत्यु भोज 13 जून को था। इसमें नक्सली भी शामिल होने पहुंचे थे।

मत्युभोज से भोजन मंगाकर रात में नक्सलियों ने शाम को गांव के पास खाया था। जब जवान आश्वस्त हो गए कि नक्सली मुरनार में मौजूद हैं तो उन्हें घेरने के लिए गांव के बाहर जंगल में रात में एलओपी (नाइट हाल्ट कर) लगाकर सुरक्षाबल उनके आने का इंतजार करने लगे। नक्सली जब रात में गांव से बाहर आने लगे तो कुत्ते जोर-जोर से भौंकने लगे। जिससे टीम सचेत हो गई। मुरनार से मालापारा की ओर दो सड़कें जाती हैं। घुमावदार सड़क पर पुलिस टीम उनका इंतजार कर रही थी। टीम को शक था कि सुरक्षा को देखते हुए नक्सली इसी रास्ते से गुजरेंगे। इसी दौरान उन्हें मालापारा जाने की शार्टकट दूसरी सड़क पर बाइक में दो लोग जाते दिखे।

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टीम समझ गई वे नक्सलियों के लिए मार्ग की रेकी कर रहे हैं। रेकी कर रहे बाइक सवारों के पीछे-पीछे बाकी नक्सली चल रहे थे। तत्काल एक टीम इस मार्ग को घेरने के लिए आगे बढ़ने लगी। नक्सलियों ने वही शार्टकट लिया थी और घिर गए। पुलिस नक्सलियों के जंगल में चलने के दौरान पत्तों की खड़खड़ाहट की आवाज से सतर्क हो गई और फायर कर दिया। जवानों के अनुसार नक्सली उनसे मात्र 15 फीट दूरी पर थे। जवानों ने भी ताबड़तोड़ फायरिंग की, जिससे सामने चल रहे दो नक्सली गिर गए। दो और नक्सलियों को गोली लगी जो सड़क के उस पार गिरे। एक नक्सली के पीठ में तीन गोलियां लगीं, तीनों गालियां आरपार हो गईं और एक गोली उसके हाथ में भी लगी।

दूसरे को एक गोली पैर और दूसरी चेहरे में लगी और आरपार हो गई। तीन घायल हो गए। नक्सलियों की संख्या करीब 11 थी। जो सुरक्षित थे वे हथियार वहीं छोड़ अपने साथियों की लाश उठा भाग गए। पुलिस के अनुसार, पांच घंटे में पुलिस ने 850 राउंड तो नक्सलियों ने 300 राउंड गोलियां दागी। नक्सली अपनी गोलियां बचाने के लिए रूक-रूक कर फायर कर रहे थे। सुबह करीब 3 बजे उनकी गोलियां खत्म हो गई तो वे भाग निकले। घटनास्थल से नक्सलियों के हथियार और सामान भी बरामद हुए हैं। जब्त सामान में हथियार के अलावा नक्सली साहित्य, नई काली वर्दी, हेमोलाई वर्दी के कपड़े, रोजमर्रा सामान, खाद्य पदार्थ, दवा, रेडियो व दो बैग में बादाम, छुहारा, जड़ी-बूटी व मेवों से बना लड्डू मिला है।

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