Naxal Hit Area

इस गांव के स्कूल में आठवीं तक की पढ़ाई होती है। इसके आगे की पढ़ाई के लिए लड़कियों को 17 किमी दूर लातेहार जिला मुख्यालय आना पड़ता है।

सखी मंडल से जुड़ने के बाद इन महिलाओं में न केवल निर्भीकता आई है, बल्कि समूह को ये अपनी ताकत भी समझती हैं।

नक्सल क्षेत्र के लिए तीन युवाओं ने तैयार की नई सर्विलांस तकनीकि

खेत के मेड़ पर आधा दर्जन आम के पेड़ लगे हैं, जो उन्नत किस्म के हैं। सभी पेड़ों में फल भी लग चुका है। संतू की खेती कि एक विशेषता और भी है कि मक्का की खेती हो या सब्जियों की खेती, वह रासायनिक खाद का उपयोग कभी नहीं करते हैं।

माता-पिता ने उसे दंतेवाड़ा के सरकारी आवासीय विद्यालय में लक्ष्मण का दाखिला करवा दिया। इसके बाद लक्ष्मण ने यहीं रह कर पढ़ाई की। बारहवीं पास के करने के बाद उसने नीट की परीक्षा दी। लक्ष्मण ने बताया कि उसके माता-पिता ने उसे गांव आने से मना करते थे।

साल 2019 में जवाहर नवोदय विद्यालय, जमशेदपुर में कक्षा छह में नामांकन के लिए चयनित होनेवाले 80 छात्रों में से 11 छात्र पटमदा, बोड़ाम, कमलपुर, जादूगोड़ा व एमजीएम जैसे नक्सल प्रभावित गांवों के हैं।

बिठली की जनसंख्या करीब 1100 है, जिसमें मुंडघुसरी में 700 और बांधा टोला की आबादी 400 है। इन गांवों में लगभग हर घर में शराब बनती है। यहां रहने वाले पुरुष, युवक नशे और जुए के आदी हो रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले का अबूझमाड़। घनघोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र। आए दिन यहां नक्सली अपनी गतिविधियों को अंजाम देते रहते हैं। बाहर के लोग इस इलाके से गुजरने से भी कतराते हैं। नक्सलियों ने इसे लिबरेटेड ज़ोन घोषित कर रखा है।

अब तक पैम्पलेट्स, चिट्ठी और प्रेस रिलीज़ के जरिए संवाद करने वाले नक्सली सोशल मीडिया पर उतर आए हैं। व्हॉट्सऐप (WhatsApp) उनका नया औज़ार बन गया है।

जिस जगह लोग अपने ही वाहन से गुजरने से कतराते थे वहां आज महिलाएं ई-रिक्शा चलाकर क्षेत्र के विकास की गौरव गाथा लिख रही हैं।

अभाव भऱी जिंदगी होने के बावजूद गरीब परिवार के ये बच्चे बेहतर खिलाड़ी के रूप में निखर रहे हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्र के इस गांव के बच्चे मलखंब जैसे साहसिक खेल में महारत हासिल कर रहे हैं।

बिहार के गया में 10 मार्च को आमस कैंप के प्लाटून कमांडर अवधेश कुमार सिंह के नेतृत्व में प्रखंड क्षेत्र के नक्सल प्रभावित झरी और बघमरवा गांव का दौरा किया।

झारखंड का लातेहार जिला नक्सली गतिविधियों के कारण हमेशा से चर्चा में रहता है। इसकी भौगोलिक स्थिति भी इसे नक्सलियों की मौजूदगी से पूरी तरह उबरने नहीं दे रही। लेकिन केन्द्र और राज्य की सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर तालमेल और सरकार के बहुआयामी प्रयास से अब लातेहार का परिदृश्य बहुत हद तक बदलने लगा है।

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