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Chhattisgarh: इको टूरिज्म सेंटर के रूप में विकसित होगा सरगुजा जिले का मशहूर पिलखा पहाड़

फाइल फोटो।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का सरगुजा जिले का पिलखा पहाड़ इको टूरिज्म सेंटर के रूप में विकसित होगा। गांव वालों केसहयोग से इस पहाड़ को पर्यटन केंद्र बनाने की तैयारी की जा रही है। जिला पंचायत सदस्य आदित्येश्वर शरण सिंहदेव ने प्रदेश के पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव से चर्चा कर पिलखा पहाड़ को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है।

29 अक्टूबर को जिला पंचायत उपाध्यक्ष राकेश गुप्ता के साथ अन्य जनप्रतिनिधि और वनमंडल अधिकारी पंकज कमल सहित वन अधिकारियों की टीम के साथ पहाड़ के लगभग 10 किलोमीटर एरिया का पैदल भ्रमण किया।

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पूरे इलाके में भ्रमण के बाद यह निर्णय लिया गया है कि पहले सरगुजा क्षेत्र में आने वाले पहाड़ को फेंसिंग कर सुरक्षित कर लिया जाए ताकि वन्य जीव भी नीचे उतर कर ग्रामीणों के फसलों को नुकसान न पहुंचा सकें। चूंकि यह सरगुजा और सूरजपुर दोनों जिलों की सीमा पर स्थित है, इसलिए पहले सरगुजा वाले 16 किलोमीटर के पहाड़ को सुरक्षित करने की योजना बनाई गई है।

इसके बाद यहां अन्य विकास कार्यों की शुरुआत होगी। बता दें कि शहर से 15 किलोमीटर दूर स्थित यह पहाड़ इस जिले की पहचान है। इसी पहाड़ पर ऐतिहासिक लक्ष्मण पांव स्थित है। यहां का जंगल भी काफी पुराना है। यह क्षेत्र राम वन पथ गमन में शामिल है। लक्ष्मण पांव को लेकर ग्रामीणों की धार्मिक आस्था भी इस पहाड़ से है।

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पिलखा पहाड़ क्षेत्र में प्राकृतिक जल स्रोत भी हैं। इन जल स्रोतों को भी विकसित किया जाएगा। यहां पानी की सुविधा होने पर और भी हरियाली लाई जा सकती है। जल स्रोतों के विकसित होने से वन्य जीवों को भी पानी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा और वन्यजीव पहाड़ पर ही रह सकेंगे।

इस पहाड़ पर सालों से एनसीसी और स्काउट गाइड से जुड़े छात्र ट्रेकिंग पर जाते रहे हैं। इसलिए इसे ट्रेकिंग के लिहाज से भी विकसित करने की योजना बनाई गई है। भविष्य में यहां एडवेंचर स्पोर्ट्स भी विकसित हो सकेगा। पहाड़ की ऊंचाई काफी अधिक है और यह पूरा क्षेत्र 35 किलोमीटर पर फैला है। सरगुजा क्षेत्र में 16 किलोमीटर का पहाड़ आता है।

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सरगुजा वन मंडल अधिकारी पंकज कमल के मुताबिक, अंबिकापुर शहर के करीब यह पहाड़ इको टूरिज्म के हिसाब से विकसित हो सकता है। यहां ग्रामीणों को रोजी रोजगार भी मिल सकता है। क्योंकि यहां काफी संख्या में वन्य जीव हैं, इसलिए कई बार संघर्ष की स्थिति बनती है। इसे हमने जनप्रतिनिधियों की पहल पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लिया है क्योंकि यह पहाड़ दो वन मंडल से जुड़ा है। समन्वित प्रयास से ही यह इलाका विकसित हो सकता है। यह हमारा बड़ा प्रोजेक्ट है। आने वाले दिनों में पिलखा पहाड़ निश्चित रूप से पर्यावरणीय पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनेगा।