
फाइल फोटो।
Naxal Attack: 13 मार्च, 2018 को सुकमा जिले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) की 212वीं बटालियन के जवानों को टारगेट किया गया था।
नक्सलियों (Naxals) को मौत के घाट उतार कर हमारे जवानों ने लाल आतंक के खिलाफ कमर कसी हुई है। बीते कुछ सालों में पुलिस फोर्स को नक्सलियों के खिलाफ बड़ी सफलताएं भी हाथ लगी हैं। वहीं, कई बार एंटी नक्सल ऑपरेशन के दौरान हमारे वीर सपूतों पर नक्सली घात लगाकर हमला (Naxal Attack) कर देते हैं। नक्सली जवानों के साथ-साथ कई बार नेताओं और आम लोगों की भी हत्या कर चुके हैं।
नक्सलियों को सिर्फ खून बहाने और आतंक फैलाने से मतलब होता है। देश में रहकर देश के खिलाफ खड़े नक्सलियों को सबक सिखाने के लिए हमारे जवान दिन रात मेहनत कर रहे हैं। कई बार नक्सलियों को पहले ही भनक लग जाती है और वह सेना की मूवमेंट की जानकारी हासिल कर हमला बोल देते हैं। वहीं, कई बार चुनाव के दौरान किसी बड़े नेता को टारगेट कर आम लोगों और पॉलिटिकल लीडर्स के बीच खौफ फैलाया जाता है।
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साल 2018 में भी नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ (Chhattisagrh) में कई बड़े हमले (Naxal Attack) किए थे। इन हमलों के जरिए खौफ फैलाने की कोशिश की गई थी। सेना से लेकर नेताओं को टारगेट किया गया था। सबसे पहले बात करें 13 मार्च, 2018 की तो इस दिन सुकमा जिले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) की 212वीं बटालियन के जवानों को टारगेट किया गया था। इस हमले में हमारे 9 जवान शहीद हुए थे। नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट (IED Blast) के जरिए इस हमले को अंजाम दिया था।
इसके बाद मई महीने में ही नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स (CAF) पर हमला (Attack) किया था। इस हमले में सात जवान मारे गए थे। हमला दंतेवाड़ा में किया गया था। नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई थी। इसके बाद जुलाई में नक्सलियों ने कांकेर जिले में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) के जवानों पर हमला (Naxal Attack) किया था। इस हमले में हमारे 2 जवान शहीद हुए थे।
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23 सितंबर के दिन आंध्र प्रदेश के विशाखापटनम जिले में नक्सलियों ने अराकू (अजनजा) विधानसभा सीट से विधायक किदारी सर्वेश्वर राव और पूर्व विधायक एस सोमा की गोली मार कर हत्या कर दी थी। नक्सलियों (Naxalites) ने इस वारदात को सुबह विशाखापटनम से 125 किलोमीटर दूर डुंब्रीगुडा मंडल के थुटांगी गांव में अंजाम दिया था।
ये जगह ओडिशा की सीमा से लगती है। नक्सलियों ने तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) विधायक पर तब हमला किया, जब वह तेदेपा नेता और पूर्व विधायक एस. सोमा के साथ अपने विधानसभा क्षेत्र में एक कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे। वहीं 30 अक्टूबर को दंतेवाड़ा में दूरदर्शन के एक कैमरामैन और दो पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई।
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नक्सली नेताओं के खिलाफ कई बार बड़े हमलों (Naxal Attack) को अंजाम दे चुके हैं। साल 2014 में भी नक्सलियों ने ऐसा ही किया था। लोकसभा चुनाव से पहले 12 अप्रैल के दिन नक्सलियों ने बस्तर के बीजापुर और दरभा घाटी में आईईडी ब्लास्ट (IED Blast) किया था। इन दो विस्फोटों में पांच जवान शहीद हो गए थे। जबकि 9 अन्य लोग भी मौत के घाट उतार दिए गए थे। चुनाव के दौरान बड़े हमलों को अंजाम देकर नक्सली लोगों के बीच अपना खौफ और सरकार के प्रति अपनी विचारधारा को खुले तौर प्रदर्शित करते हैं।
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वहीं इससे पहले, 2013 में भी नक्सलियों ने बेहद ही चालाकी के साथ कांग्रेस नेताओं के काफिले पर यह हमला (Naxal Attack) किया था। मरने वालों में कांग्रेस नेता समेत स्थानीय लोग भी शामिल थे। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के दरभा वैली में नक्सलियों ने 25 मई 2013 के दिन इस हमले को अंजाम दिया था। इसे झीरम घाटी हमले के नाम से भी जाना जाता है। हमले में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल समेत कई बड़े नेता और सुरक्षाकर्मी मारे गए थे।
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