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Chhattisgarh: सीएम भूपेश बघेल ने साल 2021 के कैलेंडर का विमोचन किया, 2 साल के विकास कार्यों का मिलेगा ब्यौरा

नए साल 2021 का शासकीय कैलेंडर छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh)  में नई सरकार द्वारा पिछले दो सालों में किए गए विकास कार्यों पर केंद्रित है।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) और विधानसभा के उपाध्यक्ष मनोज सिंह मंडावी ने 28 दिसंबर को विधानसभा परिसर स्थित समिति कक्ष में नए साल 2021 के शासकीय कैलेंडर का विमोचन किया। यह कैलेंडर छत्तीसगढ़ में नई सरकार द्वारा पिछले दो सालों में किए गए विकास कार्यों पर केंद्रित है।

कैलेंडर का शीर्षक ‘न्याय के बयार, सब्बो बर-सब्बो डहर’ दिया गया है। कैलेंडर के कवर पेज पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कुम्हार के चाक पर दीया बनाते चित्र प्रकाशित किया गया है। चित्र के नीचे लिखा हुआ है- ‘गढबो नवा छत्तीसगढ़’।

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कैलेंडर में जनवरी में ‘अन्नदाता को न्याय’ शीर्षक दिया गया है। इसके तहत 17 लाख किसानों को लगभग नौ हजार करोड़ रुपये की कर्ज माफी, 94 प्रतिशत किसानों से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से किसानों को पांच हजार 750 करोड़ रुपये में से चार हजार 500 करोड़ रुपये की आदायगी, 15 सालों से लंबित सिंचाई कर की माफी को शामिल किया गया है। इस पन्ने पर हरे-भरे धान के खेत और फसल तैयार करती हुई महिला किसानों के चित्र प्रकाशित किए गए हैं।

फरवरी में ‘सुराजी गांव’, मार्च में ‘खाद्य सुरक्षा’, अप्रैल में ‘बिजली बिल आधा और औद्योगिक विकास’, मई में ‘श्रमवीरों को न्याय’, जून में ‘उपचार पर सबका अधिकार’ के बारे में जानकारी दी गई है। इसमें ‘मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना’, ‘मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना’, ‘दाई दीदी क्लीनिक’, डॉ. राधाबाई डायग्नोस्टिक सेंटर, डा. खूबचंद बघेल तथा ‘मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना’, ‘मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान’ से एक साल में 66 प्रतिशत सफलता का उल्लेख किया गया है।

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वहीं, जुलाई में ‘कुपोषण एनीमिया से मुक्ति’, अगस्त में ‘दरवाजे पर शिक्षा’, सितंबर में ‘वनाश्रितों को न्याय’, अक्टूबर में ‘शिक्षा विस्तार’, नवंबर में ‘छत्तीसगढ़ी अस्मिता को पहचान’ का जिक्र है।

इसमें राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपराओं को सहजने की पहल, हरेली, तीजा, माता कर्मा जयंती, विश्व आदिवासी दिवस और छठ पूजा पर सार्वजनिक अवकाश, प्रत्येक जिले में छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के खानपान पर केंद्रित गढ़ कलेवा के साथ ही छत्तीसगढ़ी ग्रामीण खेलकूद और लोक नृत्यों के बढ़ावा को प्रदर्शित किया गया है। दिसंबर में ‘शिल्प और परंपरागत रोजगार’ का जिक्र है।

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इसमें माटी शिल्प, धातु शिल्प, हाथकरघा वस्त्र, बांस शिल्प, कोसा को बढ़ावा के साथ गोठानों में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित दीयों और अन्य सामग्रियों को बढ़े ही खूबसूरत चित्रों के साथ दर्शाया गया है। इसके साथ ही राम वनगमन पर्यटन परिपथ, देवगुढ़ी, सरोदा दादर, सतरेंगा जैसे पर्यटन स्थलों में विकास और रोजगार के नए अवसरों को दिखाया गया है।