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Chhattisgarh: नक्सल प्रभावित इलाकों में युवाओं को सही रास्ता दिखा रहे सुरक्षाबल के जवान, छत्तीसगढ़ पुलिस में 16 युवाओं का हुआ चयन

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कभी जिन गांवों में लाल सलाम का नारा गूंजता था अब वहां जय हिंद के नारे सुनाई दे रहे हैं। बस्तर के नक्सल इलाकों (Naxal Area) में यह बड़ा बदलाव है।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में नक्सलियों से लोहा लेने के लिए तैनात सुरक्षाबल के जवान नक्सल प्रभावित इलाकों में युवाओं को सही रास्ता दिखाने में भी कामयाब हो रहे हैं।

बस्तर रेंज के आइजी सुंदरराज पी के मार्गदर्शन में कोंडांगांव जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों (Naxal Area) में आईटीबीपी 29वीं वाहिनी और सीआरपीएफ 188 वाहिनी ने शिविर लगाकर चार महीने तक 45 युवक युवतियों को शारीरिक और बौद्धिक प्रशिक्षण दिया। इनमें से 16 युवाओं का चयन छत्तीसगढ़ पुलिस (Chhattisgarh Police) में हुआ है।

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बता दें कि जिले के विश्रामपुरी थाने में 2007 में नक्सलियों ने हमला किया था और थाने को लूट लिया था। धनोरा थाने को आज भी अति संवेदनशील थाना माना जाता है। इन इलाकों से युवा मुख्यधारा में जुड़ रहे हैं और क्षेत्र के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं। कभी जिन गांवों में लाल सलाम का नारा गूंजता था अब वहां जय हिंद के नारे सुनाई दे रहे हैं। बस्तर के नक्सल इलाकों (Naxal Area) में यह बड़ा बदलाव है।

कोंडागांव एसपी सिद्धार्थ तिवारी ने इलाके के युवाओं को प्रशिक्षण देने की योजना तैयार की। सीआरपीएफ 188 वीं वाहिनी के जवान सुनील कुमार ने विश्रामपुरी में शिविर लगाया। आइटीबीपी 29 वीं वाहिनी के सेनानी समरबहादुर सिंह ने धनोरा में शिविर का आयोजन किया।

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विश्रामपुरी शिविर में आरक्षक प्रमोद कुमार राई, प्रधान आरक्षक जीडी अन्जनेया एच ने प्रशिक्षण दिया। धनोरा शिविर में उप निरीक्षक जीडी डोलाराम शर्मा, जीडी खोत समाधान ने सेना भर्ती, जिला पुलिस बल में भर्ती का प्रशिक्षण दिया। इन शिविरों का उपयोग विकास केंद्रों के रूप में भी किया जा रहा है।

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इसके साथ ही धनोरा और विश्रामपुरी में पुस्तकालय की व्यवस्था की गई ताकि युवा बौद्धिक ज्ञान भी हासिल कर पाएं। लिखित परीक्षा के लिए उपयोगी सामग्री भी दी गई। जिसका नतीजा है कि आज इस नक्सल ग्रस्त इलाके (Naxal Area) के युवा पुलिस और सेना में भर्ती हो देश की सेवा कर रहे हैं।