केंद्र सरकार नक्सलवाद (Naxalism) की समस्या को विकास के जरिए हल करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स के साथ-साथ तीन मंत्रालयों को संयुक्त रूप से शामिल करने की रणनीति बनाई जा रही है। नक्सल समस्या से निपटने के लिए इन तीनों मंत्रालयों को गृह मंत्रालय के साथ बी-टीम के तौर पर सक्रिय करने की तैयारी है।
नक्सल प्रभावित इलाकों (Naxal Area) में विकास की योजनाओं को समग्र ढंग से लागू कराने के लिए एक ब्लू प्रिंट तैयार किया जा रहा है। इसके लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्रालय, आदिवासी मामलों के मंत्रालय और पर्यावरण और वन मंत्रालय को एक टीम के तौर पर नक्सल प्रभावित इलाकों में उतारने पर विचार चल रहा है।
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इसके पीछे प्लान यह है कि व्यापक सशस्त्रबलों की कार्रवाई तेज से पहले इन इलाकों में उन कल्याणकारी योजनाओं को लागू करवाया जाए, जो अब तक यहां नहीं पहुंच पाई हैं। इसके लिए इलाकों को चिह्नित करने का काम शुरू हो गया है। पिछले कुछ दिनों में छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में बढ़ रही नक्सली घटनाओं को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है।
इस दिशा में नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ अभियान चलाने के लिए बीएसएफ के 10 हजार जवानों को जल्द ही उनके प्रभाव वाले इलाकों में भेजा जा सकता है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि फिलहाल बीएसएफ की पांच बटालियन के पांच हजार जवान नक्सल प्रभावित इलाकों में भेजे जाएंगे। इसके बाद अतिरिक्त पांच हजार जवानों को भेजा जाएगा।
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हालांकि नक्सलियों के खिलाफ अभियान में पहले से ही 10 हजार जवान लगे हैं। इस अभियान में बीएसएफ के और अधिक जवानों को लगाने का मुख्य कारण अभियान को और अधिक मजबूती प्रदान करना है ताकि किसी भी मोर्चे पर नक्सलियों (Naxalites) से मुकाबला किया जा सके। महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जिले में बीएसएफ जवान मजबूती के साथ मोर्चे पर डटे हैं। उन्होंने वहां का बड़ा इलाका नक्सलियों (Naxals) से मुक्त कराया है। उनकी कौशलता के मद्देनजर ही इस बल के जवानों को छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में भेजने का निर्णय लिया गया है।