सवाल खड़ा किया गया है कि क्या पुलिस और सेना के अधिकारियों को मारने वाले नक्सली और माओवादियों (Naxalites) को हीरो की तरह दिखाया जाना सही है।
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सल प्रभावित बीजापुर और सुकमा जिले की सीमा पर हुए नक्सली हमले (Naxal Attack) में 22 जवान शहीद हो गए थे। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस हमले का असर अब फिल्म इंडस्ट्री (Film Industry) पर भी देखने को मिल रहा है। नक्सल (Naxalites) पृष्ठभूमि पर बन रही कुछ फिल्मों को लेकर आतंकवाद विरोधी फोरम (Anti-Terrorism Forum) ने सेंसर बोर्ड में याचिका दायर की है।
इन फिल्मों में चिरंजीवी की फिल्म ‘आचार्य’ (Chiranjeevi’s ‘Acharya’) और राणा दग्गुबाती की फिल्म ‘विराट पर्वम’ (Rana Daggubati’s ‘Virata Parvam’) शामिल हैं। दोनों ही फिल्मों की कहानी नक्सल पृष्ठभूमि पर है। दोनों फिल्मों में लीड रोल नक्सली के रूप में दिखाए गए हैं।
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छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले (Naxal Attack) का असर अब इन दोनों फिल्मों पर पड़ा। सूत्रों के अनुसार, आतंकवाद विरोधी फोरम ने सेंसर बोर्ड में याचिका दायर कर ऐसी फिल्मों पर रोक लगाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि ये फिल्में समाज के लिए हानिकारक हैं और हमारे देश में युवाओं को गलत संदेश देंगी।
इतना ही नहीं, याचिका में कहा गया है कि अगर फिल्म रिलीज हुई तो को वो सिनेमाघरों के सामने विरोध करेंगे। साथ ही सवाल खड़ा किया गया है कि क्या पुलिस और सेना के अधिकारियों को मारने वाले नक्सली और माओवादियों (Naxalites) को हीरो की तरह दिखाया जाना सही है।
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बता दें इससे पहले भी नक्सल पृष्ठभूमि पर टॉलीवुड में कई प्रभावशाली फिल्में रिलीज हो चुकी हैं। हालांकि आज तक ऐसी मूवी पर किसी ने रोक लगाने की मांग नहीं की थी। ‘आचार्य ’ 13 मई को सिनेमाघरों में रिलीज के लिए तैयार है और ‘विराट पर्वम’ 30 अप्रैल को रिलीज होनी है।