TRF, लश्कर-ए-तयैबा (Lashkar-e-Taiba) का ही संगठन है, जिसे कुछ समय पहले ही तैयार किया गया है। इसमें जम्मू-कश्मीर के स्थानीय आतंकियों को शामिल किया गया है।
जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के कुलगाम में 29 अक्टूबर को आतंकियों ने BJP के तीन नेताओं की हत्या कर दी। आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने इसकी जिम्मेदारी ली है। इस आतंकी संगठन (Terrorist Organization) का नाम कम ही सुना गया है। तो हम आपको बताते हैं इस आतंकी संगठन के बारे में। दरअसल, TRF, लश्कर-ए-तयैबा (Lashkar-e-Taiba) का ही संगठन है, जिसे कुछ समय पहले ही तैयार किया गया है।
इसमें जम्मू-कश्मीर के स्थानीय आतंकियों को शामिल किया गया है। इस संगठन की सोशल मीडिया में मौजूदगी है और वहां से ही ये अपनी ब्रैंडिंग करने में जुटा रहता है। जानकारी के मुताबिक, इसी साल मार्च महीने में दो नए आतंकी संगठनों का जन्म हुआ, जिनमें एक टीआरएफ (TRF) और दूसरा तहरीक-ए-मिल्लत-ए-इस्लामी (TMI) है।
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सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, टीआरएफ (TRF) पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तयैबा का ही फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन है। बता दें कि अस्तित्व में आते ही टीआरएफ ने कुछ बयान जारी कर आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन को चुनौती दी थी। 24 अप्रैल को आतंकियों ने अनंतनाग से जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक सिपाही को अगवा किया था, जिसे सुरक्षाबलों ने छुड़ा लिया। इस ऑपरेशन में दो आतंकी ढेर हुए थे।
इसके बाद टीआरएफ ने बयान जारी कर कहा, “कुछ दिन पहले हमने हिजबुल को चेतावनी दी थी कि कश्मीरी पुलिस वालों और सिविलियंस को मारना बंद करें। उन्होंने फिर एक जम्मू-कश्मीर पुलिस वाले को किडनैप किया।” इस बयान में कहा गया था कि हिजबुल को यह समझना चाहिए कि हमारी लड़ाई सेना से है न कि कश्मीरियों से। हम इन लोगों के सपोर्ट के बिना सेना से नहीं लड़ सकते।
इसी बयान में यह भी बताया गया कि हिजबुल का एक कमांडर अब टीआरएफ में शामिल हो गया है। साथ ही कहा कि अगर हिजबुल ने कश्मीरी पुलिस और लोगों को मारना बंद नहीं किया तो अब वॉर्निंग नहीं दिया जाएगा, सीधे ऐक्शन लिया जाएगा।
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक सीनियर अधिकारी के अनुसार, हर साल मार्च-अप्रैल के बीच इस तरह के नए संगठन सामने आते हैं, जो कुछ ही महीनों में फिर गायब हो जाते हैं। यह संगठन कोई नए आतंकी संगठन नहीं होते बल्कि जो मौजूदा आतंकी संगठन हैं, उनके ही लोग अलग-अलग नाम से ग्रुप बना लेते हैं। इनका मकसद दूसरे आतंकी संगठनों के लोगों को तोड़कर अपने साथ शामिल करना होता है। लश्कर के लोगों ने ही ये संगठन भी बनाया है ताकि हिजबुल के आंतकियों को अपने साथ ला सकें।
इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक, आतंकी संगठनों की अलग-अलग विचारधारा और उसका टकराव उनके बीच बड़ी जंग में तब्दील हो रहा है। जून, 2019 में अनंतनाग के बिजबेहारा में रात को आतंकियों के बीच हुई लड़ाई में एक आतंकी मारा गया और जबकि एक घायल हुआ जिसे सुरक्षाबलों ने गिरफ्तार कर लिया था।
इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक, हिजबुल मुजाहिद्दीन और लश्कर-ए-तयैबा के आतंकियों ने इस्लामिक स्टेट हिंदू प्रोविंस (ISHP) के आतंकी पर हमला किया। यह आतंकी संगठनों के बीच विचारधारा की लड़ाई तो है ही, साथ ही विदेशी आतंकी और प्रो-पाकिस्तानी आतंकियों की हरकतों से लोकल आतंकी परेशान भी हैं।
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सूत्रों के अनुसार, ISHP और अंसार गजावत-उल-हिंद (AGH) के आतंकी इस्लामिक स्टेट बनाने की लड़ाई लड़ रहे हैं और पूरी तरह से इस्लाम को फॉलो करने की बात करते हैं, पांच वक्त नमाज पढ़ते हैं। इसमें सभी लोकल आतंकवादी हैं, जिन्हें लोकल लोगों से सहानुभूति भी मिल जाती है।
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वहीं, हिजबुल मुजाहिद्दीन और लश्कर दोनों संगठन प्रो-पाकिस्तानी हैं और कश्मीर को पाकिस्तान में शामिल करने की बात करते हैं। दोनों के बीच इस विचारधारा की लड़ाई तो है ही, साथ ही हिजबुल और लश्कर के विदेशी आतंकी कश्मीर में आम लोगों के साथ ज्यादती भी करते हैं, खासकर महिलाओं के साथ। वह किसी भी घर में घुसकर महिलाओं का उत्पीड़न करते हैं जिससे लोकल आतंकी भी उनकी हरकतों के खिलाफ हैं और अब इसका मुखर विरोध भी करने लगे हैं।