Hindi News (हिंदी समाचार), News in Hindi, Latest News In Hindi

नक्सलियों ने बिछाए हैं आईईडी, पैदल चलने से बढ़ा ब्लास्ट का खतरा

नक्सल प्रभावित इलाको में मजदूरों के पैदल चलने से आईईडी (IED) ब्लास्ट का खतरा बढ़ गया है।

कोरोना वायरस (Corona Virus) के खतरे और लॉकडाउन (Lockdown) के बीच कई प्रवासी मजदूर अपने घरों की तरफ पलायन कर रहे हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी तस्वीरें आई हैं कि लोग पैदल चल रहे हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के नक्सल प्रभावित इलाको में मजदूरों के पैदल चलने से आईईडी (IED) ब्लास्ट का खतरा बढ़ गया है।

जी हां, नक्सलियों (Naxalites) ने कई जंगली इलाकों में जमीन के अंदर खतरनाक आईईडी (IED) बिछाए हैं। आम तौर पर नक्सली (Naxali) ऐसा जवानों को निशाना बनाने के लिए करते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो राज्य में साल 2010 से इस साल मार्च तक अकेले बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों द्वारा 1500 से अधिक आईईडी (IED) बरामद किए गए हैं।

भारत के दुश्मन नं. 1 ने मिलाया लश्कर-ए-तैयबा के साथ हाथ, ‘2008 मुंबई हमले’ जैसे बड़े हमले की साजिश

नक्सलियों (Naxals)  ने जंगलों और रास्तों में बेतरतीब ढंग आईईडी (IED) लगाए हैं। बड़ी मुश्किल से हमारे जवान जमीन के अंदर छिपाए गए इन खतरनाक विस्फोटकों को खोजते हैं और इसे नष्ट करते हैं। आईईडी की वजह से जवानों को कई बार नुकसान भी उठाना पड़ता है। लेकिन अभी लॉकडाउन को देखते हुए प्रवासी पैदल और छोटे रास्तों से अपने घरों की तहफ जा रहे हैं। यह जंगली रास्ते काफी खतरनाक माने जाते हैं क्योंकि कई रास्तों पर आईईडी (IED) हो सकते हैं और ये ब्लास्ट हो सकते हैं। जिसके कारण सुरक्षा बलों की परेशान ज्यादा बढ़ गई है।

पैदल चलने से आईईडी ब्लास्ट ((IED Blast) की आशंका इसलिए गहरा गई है क्योंकि दक्षिण छत्तीसगढ़ और आस-पास के राज्यों में सीमाएं काफी छोटी हैं। झारखंड, बिहार, बंगाल, राजस्थान और अन्य राज्यों में आने-जाने के रास्ते बस्तर से खुलते हैं। ये इलाके नक्सली प्रभावित माने जाते हैं और यही से प्रवासी राज्य में आ रहे हैं। जिले में नक्सलियों (Naxals) ने सुरक्षाकर्मियों को नुकसान पहुंचाने के लिए आईईडी (IED) बिछाए हैं। लिहाजा इस बात की आशंका है कि कभी भी बड़ी घटना हो सकती है।

हालांकि, सरकार और प्रशासन लगातार प्रवासी मजदूरों से अपील कर रही है कि वो पैदल ना चलें और उनके लिए बस या अन्य यातायात के साधनों का इंताजम किया जा रहा है। लेकिन बावजूद इसके लोग खतरा मोल लेकर भी घर पहुंचना चाहते हैं। इन हालातों में नक्सली इलाकों (Naxal Area) में पैदल चलना एक बेहद ही जोखिम भरा काम माना जा रहा है।